8 अगस्त 2016
( ग़ज़ल ) हर पल याद रहती है निगाहों में बसी सूरतसजा क्या खूब मिलती है किसी से दिल लगाने की तन्हाई की महफ़िल में आदत हो गयी गाने की हर पल याद रहती है निगाहों में बसी सूरत तमन्ना अपनी रहती है खुद को भूल जाने की उम्मीदों का काजल