27 मई 2022
ये जो लाल रक्त का श्राव है इसी के हर कतरे से हुआ तुम्हारा निर्माण है अपवित्र होकर तुम्हें पवित्रता का हक दिलाती हूं ये पांच दिन का पर्व है जो हर नारी मनाती है असहनीय पीड़ा सहकर भी तुम सबकी मुस्कान