यदि महाभारत और रामायण काल में मीडिया और सोशल मीडिया होते तो क्या होता:
TRP के लिए डेली नए नए इवेंट मिलते, कभी कोई मरता तो बिग न्यूज़, कोई पैदा होता तो बिग न्यूज़.
ट्वीटी बाबू RIP मचाते रहते, आज ये RIP तो कल वो RIP.
कुछ सेल्फी साइको #With_कुम्भकरण से ही फ्री ना होते ६-६ महीनो तक.
तुलसीदास जी और वाल्मीकि जी जैसे महानुभाव अपने ब्लॉग्स से फ्री ही नहीं हो पाते, कौन लिखता रामायण और महाभारत का वृत्तांत और निष्कर्ष?
आज वही हो रहा है, हो हल्ला एकदम बवाल होता है हर मैटर पर, निष्कर्ष कछु नाही.
P.S. : इतने लम्बे युद्ध नहीं चलते क्यूंकि दुश्मनों को जीपीएस से ट्रैक कर करके ख़तम करते जाते !