आँधी में दिये कब जलते हैं
आँधी में दीये कब जलते हैं ?
लेकिन
जिन दीयों में प्राण तत्व हो,
जीवन मंत्र औ अमरत्व हो,
वसुधा के प्रति अपनत्व हो,
हृदय में जिसके विशालत्व हो,
वे दीये भला कब बुझते हैं?
आँधी–तूफां लौ बढ़ाते
मूसल–बर्षा में भी मुस्काने
बुझने का तो नाम न लेते,
ज्योति विखेरे राह दिखाते
घने तम से ये कब डरते हैं ?
इस दीये की समझ महत्ता,
जीवन देकर बढ़ाते सत्ता,
होने न देते अकाल हत्या,
देखकर भी तम की मदमत्ता,
मरकर भी वे कब मरते हैं ?
धन्य ये दीये धन्य वो जीवन,
बढ़ाते हरदम जग–जीवन स्पंदन,
इनसे ही जग नयन नंदन,
करते इनको हम कर जोर बंदन,
सार्थक जीवन ये ही तो करते हैं ।
नहीं तो
आँधी में भला
दीये, कब जलते हैं ?