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आँधी में दीये कब जलते हैं ?

28 जनवरी 2015

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आँधी में दिये कब जलते हैं आँधी में दीये कब जलते हैं ? लेकिन जिन दीयों में प्राण तत्व हो, जीवन मंत्र औ अमरत्व हो, वसुधा के प्रति अपनत्व हो, हृदय में जिसके विशालत्व हो, वे दीये भला कब बुझते हैं? आँधी–तूफां लौ बढ़ाते मूसल–बर्षा में भी मुस्काने बुझने का तो नाम न लेते, ज्योति विखेरे राह दिखाते घने तम से ये कब डरते हैं ? इस दीये की समझ महत्ता, जीवन देकर बढ़ाते सत्ता, होने न देते अकाल हत्या, देखकर भी तम की मदमत्ता, मरकर भी वे कब मरते हैं ? धन्य ये दीये धन्य वो जीवन, बढ़ाते हरदम जग–जीवन स्पंदन, इनसे ही जग नयन नंदन, करते इनको हम कर जोर बंदन, सार्थक जीवन ये ही तो करते हैं । नहीं तो आँधी में भला दीये, कब जलते हैं ?

पुरुषोत्तम पोखरेल की अन्य किताबें

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आँधी में दीये कब जलते हैं ?

28 जनवरी 2015
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आँधी में दिये कब जलते हैं आँधी में दीये कब जलते हैं ? लेकिन जिन दीयों में प्राण तत्व हो, जीवन मंत्र औ अमरत्व हो, वसुधा के प्रति अपनत्व हो, हृदय में जिसके विशालत्व हो, वे दीये भला कब बुझते हैं? आँधी–तूफां लौ बढ़ाते मूसल–बर्षा में भी मुस्काने बुझने का तो नाम न लेते, ज्योति विखेरे राह दिखाते घने तम स

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उड़ ले पंख पसार

28 जनवरी 2015
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उड़ ले पंख पसार रे पंखी ! उड़ ले पंख पसार, खुद को तु पहचान रे पंछी ! तुझमें शक्ति अपार । जमीं में इतनी शक्ति कहाँ तेरे पंखों की गति रोक सके, नाप गगन की तू ऊँचाई गति न तेरी कभी रुके । मेरी यही है चाह रे पंखी ! हिम्मत कभी न हार, खुद को तू पहचान रे पंछी ! तुझमें शक्ति अपार । लाचार और न उड़ सकनेवाले

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