उड़ ले पंख पसार
रे पंखी ! उड़ ले पंख पसार,
खुद को तु पहचान
रे पंछी ! तुझमें शक्ति अपार ।
जमीं में इतनी शक्ति कहाँ
तेरे पंखों की गति रोक सके,
नाप गगन की तू ऊँचाई
गति न तेरी कभी रुके ।
मेरी यही है चाह
रे पंखी ! हिम्मत कभी न हार,
खुद को तू पहचान
रे पंछी ! तुझमें शक्ति अपार ।
लाचार और न उड़ सकनेवाले
तुझको कभी न ये उड़ने देंगे,
अपार शक्ति हो जिन पंखों में
उनकी गति ये क्या रोकेंगे ?
दिव्य शक्ति पहचान
रे पंखी ! गति ले धुँआधार,
खुद को तू पहचान
रे पंछी ! तुझमें शक्ति अपार ।
भले तेरी छोटी–सी सत्ता
आँख न किसी की आती है,
छोटी–सी इस जान क आगे
विशालता भी शरमाती है ।
विंदु से सिंधु नाप
रे पंखी ! प्रभु का कर आभार,
खुद को तू पहचान
रे पंछी ! तुझमें शक्ति अपार....
तुझमें शक्ति अपार....