आज बात करूंगा परिवार के कुछ सदस्यों के बारे में जिन्हें मै चाहकर भी भुला नहीं सकता मेरा परिवार जिसमे मै भारत देश की एकता और अखंडता को वीद्दमान पाता हूँ, मेरा परिवार एक संयुक्त परिवार है जो भारत में ख़त्म होने की कगार पर है, और मै भारत वर्ष के लोगो से इसके संरक्षण हेतु आगे आने का आह्वान करता हूँ | मेरे तीन दादाजी और उनका पूरा परिवार, हम सभी एक साथ एक ही घर में रहते है | और शायद इसे एकीकृत और संयुक्त परिवारों के लिए ही हमारे पुर्वाजो ने परिवार शब्द का इस्तेमाल किया था| लेकिन शायद अब सभी परिवार शब्द के मूल आर्थ को ही भूल गएँ है, अरे जिस परिवार में दादा-दादी का प्यार, चाचा-चाची और अन्य सदस्यो का दुलार ना हो, वो कैसा परिवार? आज की स्थिती देखकर तो यह लगता है कि या तो परिवार शब्द इक्कीसवी सदी के लोगो की संकीर्ण मानसिकता का शिकार हो गया | या फिर हमारे पूर्वजो ने भारत सरकार के द्वारा संचालित "परिवार नियोजन" योजना को ज्यादा गंभीरता से ले लिया, और पुरे परिवार का ही नियोजन कर दिया | और मेरा मानना है कि संयुक्त परिवार ही आदर्श परिवार है, और आज के समाज की आवश्यकता है की संयुक्त परिवारकी पद्धती को बढ़ावा देना चाहिए | इसी के साथ अपनी बात ख़त्म करता हूँ, कल मिलूंगा कुछ नए छुए, अनछुए पहलू को लेकर|
शुभ रात्री |
धन्यवाद |