मेरे नाम का एक दरवाजा था ।
एक खिड़की मुझे जानती थी ॥
कोई शहर था जिसकी एक गली ।
मेरी हर आहट पहचानती थी ॥
तुम्हारे लिए हम तुम्हें छोड़ देंगे ।
वफा की डगर से कदम मोड़ लेंगे ॥
वो जो चमन छोड़ कर जायेंगे तो ।
खिजाओं से रिश्तों को फिर जोड़ लेंगे ॥
गमों के अंधेरो से खुशीयाँ मिली थी ।
उजालों की जानिब से रुख मोड़ लेंगे ॥
खुशी से करे वो सफर जिंदगी का ।
गमों का तलातुम इधर मोड़ लेंगे ॥
सभी कह रहे है शहर छोड़ने को ।
वो कहे तो जहा छोड़ देंगे ॥