झूठा आरोप लगाकर मेरे से ही ..
अच्छा बनने का ढोंग करते हो ...
तु क्या समझते हो गालिब ...
मुझे पता ना चलेगा ..
तेरे संग तो अभी पूरी जंग बाकी है . .
क्यू पड़े होमेरे पीछे ..
आखिर मकसद क्या है तेरी ..
क्या मिलता है तुम्हें लोगों को दुखी करके ..
तू यह क्यों नहीं समझता कि ...
लोगों की बद्दुआएं भी तुम ही को जाएगी ।
जंग ही जिंदगी है , जिंदगी में ही जंग है
अपनी इस अदा पर
हम गुरुर करते है
प्यार हो या नफरत
भरपूर करते है