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फागुन में आया चुनाव

27 मार्च 2017

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फागुन में आया चुनाव


फागुन में आया चुनाव

भजो रे मन हरे हरे

कौए करें काँव काँव

भजो रे मन हरे हरे.


पाँच साल पर साजन आये

गेंद फूल गले लटकाये

इनके गजब हावभाव

भजो रे मन हरे हरे.


मुंह उठाये भटक रहे हैं

हर दर माथा पटक रहे हैं

सूज गए मुंह पाँव

भजो रे मन हरे हरे.


बालम वादे बाँट रहे हैं

थूक रहे हैं, चाट रहे हैं

पउवा बँटाये हर गाँव

भजो रे मन हरे हरे.


अबकी हम पहचान करेंगे

सोच समझ मतदान करेंगे

मारेंगे ठाँव कुठाँव

भजो रे मन हरे हरे.


डाॅ. हरेश्वर राय

सतना

ध्रुव सिंह  -एकलव्य-

ध्रुव सिंह -एकलव्य-

बालम वादे बाँट रहे हैं थूक रहे हैं, चाट रहे हैं पउवा बँटाये हर गाँव भजो रे मन हरे हरे. आदरणीय सुन्दर कटाक्ष ! आभार "एकलव्य"

24 मई 2017

रेणु

रेणु

बहुत बढ़िया डॉ राय-- बहुत ही रसीली व्यंगात्मक लेखन शैली में लिखी सुंदर रचना है आपकी -- बहुत शुभकामना --

27 मार्च 2017

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रचनाएँ
hareshwar
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यह पेज मेरी स्वलिखित कविताओं के प्रकाशन के लिए आरक्षित है
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फागुन में आया चुनाव

27 मार्च 2017
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फागुन में आया चुनावफागुन में आया चुनावभजो रे मन हरे हरेकौए करें काँव काँवभजो रे मन हरे हरे.पाँच साल पर साजन आयेगेंद फूल गले लटकायेइनके गजब हावभावभजो रे मन हरे हरे.मुंह उठाये भटक रहे हैंहर दर माथा पटक रहे हैंसूज गए मुंह पाँवभजो रे मन हरे

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मेरे गांव का पप्पू

27 मार्च 2017
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मेरे गांव का पप्पू असरदार हो गयामेरे गाॅंव का पप्पू।मुश्किल से इंटर कियाबी.ए. हो गया फेलरमकलिया के रेप केस मेंचला गया फिर जेलरंगदार हो गयामेरे गाॅंव का पप्पू।नेताकट कुर्ता पाजामामाथे पगड़ी लालमुंह में मीठा पान दबायेचले गजब की चालठेकेदार

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हमार जान ह भोजपुरी

18 सितम्बर 2017
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हमार सान हहमार पहचान ह भोजपुरीहमार मतारी हहमार जान ह भोजपुरी. इहे ह खेत,इहे खरिहान हइहे ह सोखा,इहे सिवान हहमार सुरुज हहमार चान ह भोजपुरी. बचपन बुढ़ापा ह,इहे जवानीचूल्हा के आगि ह,अदहन के पानीहमार साँझ ह,हमार बिहान ह भोजपुरी. ओढिला इहे,इहे बिछाइलाकुटिला इहे,इहे पिसाइलाहमार चाउर हहमार पिसान ह भोजपुरी इह

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कमाई दिहलस पपुआ

18 सितम्बर 2017
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पढ़ि लिखि के का कइलभईया पढ़वैयाकमाइ दिहलस पपुआखांचा भर रुपैया. मंत्री बिधायकजी केखास भइल बड़ुएगऊआं के लफुआन केबॉस भइल बड़ुएआ मुखिया जी के कांख केभइल बा अँठईया. मुंशी पटवारीजी केकरेला दलालीमुंहवा में पान लेकेकरेला जुगालीआ भोरहिं से लाग जालाफांसे में चिरईयाँ. हिंदी अंगरेजीभोजपुरी बोलि लेलाबनब त बन हरेसरओक

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चलीं अपना गांव

19 सितम्बर 2017
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चलीं अपना गाँवतनि सा घूम आईं. पत्थल के एह नगरिया मेंपथरा गइलीसन आँखटुटल डाढ़ी अस गिरल बानीकटल परल मोर पाँख लागल बा चोट कुठाँवत कइसे धूम मचाईं. खिसियाइल दुपहरिया मेंतिल तिल के तन जरतानोनिआइल देवालिन मेंनोनी जस मन झरता ओहिजे मिली नीम छाँवत

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रंगदार हो गईल

19 सितम्बर 2017
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रंगदार हो गइल मोरा गाँव के लल्लू. ठेलठाल के इंटर कइलसबीए हो गइल फेल रमकलिया के रेप केस में भोगलस कुछ दिन जेल असरदार हो गइल मोरा गाँव के लल्लू. खादी के कुरूता पयजामामाथे पगड़ी लाल मुंह में पान गिलौरी दबलेचले गजब के चाल ठेकेदार हो गइल मोरा गाँव के लल्लू. पंचायत चुनाव में कइलस नव परपंच समरसता में आग लगव

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गजब हो गइल

19 सितम्बर 2017
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माई घरे तोरा कहयिनी सासु घरे रउरा गजब हो गइलभइनी गउरी से गउरागजब हो गइल। कनियाँ बनके ससुरा अइनीसासु खूब खिअवली पुहुट बनावे खातिर हमके खुबे दूध पियवली देखते देखत हो गइनी हम गरइ से सउरागजब हो गइल। चूल्हा मिलल चउका मिलल मिलल चाभी तालारिन करज के बोझा मिलल मिलल छान्ही के जाला कुछे दिन में हो गइनी हम कठेल

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चंदा के ले आव ना

19 सितम्बर 2017
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ए कोइलरी! आव ना। मिसिरी जस गीत सुनाव ना ॥ तरवाईल तन के उजास मन के मिठास मरुआईल बा।अंदर तक खालीपन पसरलसाख पाँख लरुआईल बा । तितली रानी! आव ना ।अपना संगे उड़ाव ना ॥ बाबूजी भइलन मरियाठी माई माँस के गठरी ।बिकी

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हमार गांव

19 सितम्बर 2017
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हमर गऊआं गजब अलबेलाउदास कभी होखे ना देला । ओहि मोरा गऊआं में बलवां बधरियाधानी चुनरिया में लागे बहुरिया डोल्हा पाती ओहिजे जमेलाउदास कभी होखे ना देला । ओहि मोरा गऊआं में चाना के पुलिया मछरी फँसावे ला लागेला जलियाओकर पीपर त लागे झुमेला उदा

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गजबे बा इ देश

19 सितम्बर 2017
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गजबे बा इ देश रे भइया खल खल के गीत गावेला । सत्य बुद्ध के कहाँ गइल उपनिषद के शांति कहाँ गइल राष्ट्रपिता के अहिंसा कहाँ भगत के क्रांति गइल । उज्जर झक खादी के ऊपर छलिया दाग लगावेला । पंचयत के चौपालन पर पांचाली के चीर हराता लाशन के टीला प

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हमार गाँव

22 दिसम्बर 2017
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हमर गऊआँ गजब अलबेलाउदास कभी होखे ना देला ।ओहि मोरा गऊआँ में बलवाँ बधरियाधानी चुनरिया में लागे बहुरिया दोल्हा पाती ओहिजे जमेलाउदास कभी होखे ना देला ।ओहि मोरा गऊआँ में चाना के पु

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गजबे बा इ देश

22 दिसम्बर 2017
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गजबे बा इ देश रे भइया खल खल के गीत गावेला ।सत्य बुद्ध के कहाँ गइल उपनिषद के शांति कहाँ गइल राष्ट्रपिता के अहिंसा कहाँ भगत के क्रांति गइल ।उज्जर झक खादी के ऊपर छलिया दाग लगावेला ।पंचायत के चौपालन परपांचाली के चीर हराता लाशन के टीला पर बइठल

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अइसन करिह जनि नादानी

22 दिसम्बर 2017
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गउआँ छोड़ि शहर जनि जइहहोइ ख़तम निशानीजवानी खपि जाइ बचवा.अइसन करिह जनि नादानीजवानी खपि जाइ बचवा .खेत छुटि खरिहान छुटिआ छूटिहें बाबू माईअंगना दुअरा सब छुटि जइहेंछूटिहें छोटका भाईफूट-फूट के रोइब बबुआहो जइब बेपानीजवानी खपि जाइ बचवा .गली गली मीरजा

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