फागुन में आया चुनाव
फागुन में आया चुनाव
भजो रे मन हरे हरे
कौए करें काँव काँव
भजो रे मन हरे हरे.
पाँच साल पर साजन आये
गेंद फूल गले लटकाये
इनके गजब हावभाव
भजो रे मन हरे हरे.
मुंह उठाये भटक रहे हैं
हर दर माथा पटक रहे हैं
सूज गए मुंह पाँव
भजो रे मन हरे हरे.
बालम वादे बाँट रहे हैं
थूक रहे हैं, चाट रहे हैं
पउवा बँटाये हर गाँव
भजो रे मन हरे हरे.
अबकी हम पहचान करेंगे
सोच समझ मतदान करेंगे
मारेंगे ठाँव कुठाँव
भजो रे मन हरे हरे.
डाॅ. हरेश्वर राय
सतना