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मेरी माँ के बाईस कमरे - कश्मीरी पंडितों के पलायन की कालजयी कथा

राहुल पंडिता

2 अध्याय
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3 पाठक
8 अप्रैल 2023 को पूर्ण की गई
ISBN : 9789355213624
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मेरी माँ के बाईस कमरे' कश्मीर के दिल से निकली वह कहानी है, जिसमें इस्लामी उग्रवाद के कारण लाखों कश्मीरी पंडितों के उत्पीडऩ, हत्याओं और पलायन का दर्द छुपा है। यह एक ऐसी आपबीती है, जिसमें एक पूरा समुदाय बेघरबार होकर अपने ही देश में निर्वासितों का जीवन जीने को मजबूर हो जाता है। राहुल पंडिता जब महज 14 वर्ष के थे तो उन्हें अपने परिवार सहित श्रीनगर से पलायन करना पड़ा था। वे मुस्लिम बहुल कश्मीर में हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय के कश्मीरी पंडित थे, जहाँ अस्सी के दशक के आखिर में भारत से ‘आजादी’ को लेकर लगातार उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। राहुल पंडिता की यह कहानी झकझोर कर रख देनेवाली है और इसे बार-बार कहा जाना जरूरी है, ताकि हम इतिहास से सबक ले सकें। 

merii maaN ke baaiis kmre kshmiirii pNdditoN ke plaayn kii kaaljyii kthaa

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राहुल पंडिता की 'मेरी माँ के बाईस कमरे' ने कश्मीरी पंडितों के पलायन के दर्दभरे सफर को ज़िंदगी में दोहराया, एक अत्यंत प्रेरणास्पद कहानी।

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