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Jindagi ke Anubhav se ehsaas likhti hu

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प्रेम गाथा

प्रेम गाथा

ख्वाहिशें भी अजब सितम करती है यह कैसे-कैसे को जुदा करती है सुना था, धरती और आकश एक ही थे कभी दो जिस्म एक जान थे, दोनो एक दूजे के साथ थे कर गई ख्वाहिश धरती ने चांद पाने की आकाश उड़ चला प्रियतमा कि इच्छा पुरी करने चांद धरती पर दिखने , अपनी शर्त क

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प्रेम गाथा

ख्वाहिशें भी अजब सितम करती है यह कैसे-कैसे को जुदा करती है सुना था, धरती और आकश एक ही थे कभी दो जिस्म एक जान थे, दोनो एक दूजे के साथ थे कर गई ख्वाहिश धरती ने चांद पाने की आकाश उड़ चला प्रियतमा कि इच्छा पुरी करने चांद धरती पर दिखने , अपनी शर्त क

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