*मनुष्य अपने जीवनकाल में सदैव उन्नति ही करना चाहता है परंतु सभी इसमें सफल नहीं हो पाते हैं | मनुष्य के किसी भी क्षेत्र में सफल या असफल होने में उसकी संगति महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है | इस संसार में भिन्न - भिन्न प्रकार के लोग रहते हैं इसमें से कुछ सद्प्रवृत्ति के होते हैं तो कुछ दुष्प्रवृत्ति के | जह
एक सच्ची पुकार - *ईश्वर की अनुकम्पा से अपने कर्मानुसार अनेकानेक योनियों में भ्रमण करते हुए जीव मानवयोनि को प्राप्त करता है | आठ - नौ महीने माँ के उदर में रहकर जीव भगवान के दर्शन करता रहता है और उनसे प्रार्थना किया करता है कि :-हे भगवन ! हमें यहाँ से निकालो मैं पृथ्वी पर पहुँचकर आपका भजन करूँगा | ई