मै मुकेश कुमार सिंह बिहार प्रान्त के वैशाली जिला में जन्मा एक हिन्दीभाषी नागरिक हूँ.
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हमारे देश के आला अधिकारी अपने पद के गुमान से है भारी हर छोटे बड़े काम के लिए उन्हें चाहिए अधीनस्थ कर्मचारी आलम तो ये है की कार्य दिवस समाप्ति पर साहब कहते है उनके ऑफिस की बिजली बत्ती भी बंद कर बस चार स्विच दबा नहीं पाते ये मिथ्याचारी ?हमारे देश के ये आला अधिकारीसाहब होते है सत्ताधारी सेवक इनके सभी
जी आपने कहा कल साल निकल रहा है ..कुछ नया होता है ..कुछ पुराने पीछे रह जाता है.. कुछ ख्वाहिशे दिल में रह जाती है ..कुछ बिन मांगे दिल में रह जाती है.. कुछ छोड़ कर चले गए..कुछ नए जुड़ेंगे इस सफर में कुछ मुझसे खफा है.. कुछ मुझसे बहुत खुश है ..कुछ मुझे भूल गए ..कुछ मुझे याद करते है ..कुछ शायद अनजान है
मेरे एक मित्र का एक सन्देश आया आप तमाम मित्रो से भी साझा करना चाहता हूँ :साल निकल रहा है साल निकल रहा है ..कुछ नया होता है ..कुछ पुराने पीछे रह जाता है.. कुछ ख्वाहिशे दिल में रह जाती है ..कुछ बिन मांगे दिल में रह जाती है.. कुछ छोड़ कर चले गए..कुछ नए जुड़ेंगे इस सफर में कुछ मुझसे खफा है.. कुछ मुझसे
मित्रो बिहार जैसे बाढ़ प्रभावित प्रदेश में पैदा होने के बावजूद भी मुझे कभी बाढ़ की त्रासदी से रूबरू होने का मौका नहीं मिल पाया था हाँ अपने हिंदी विषय की टेक्स्टबुक में हमने सन १९७१ में पटना में आई बाढ़ के विषय में अवश्य पढ़ा था की कैसे सड़को पे नाव चलती थी और लोगो की कितनी परेशानिया रही थी अभी पिछले हफ
चेन्नई में आई बरसात और फलस्वरूप आये बाढ़ के हालात अब जब स्थिति सामान्य सी होने चल पड़ी है पेश करता हूँ अपने मित्र के हालात जब उनसे हुई मुलाकात रूठ गया था उनका एक मित्र और फिर रुकी नहीं थी बरसात जबसे छोड़ा आपने मेरा साथ बंद कर दी बात फिर नहीं रुकी बरसात ..पहले जब बरसात होती थी बेकाबू हालत होते थी हम आपस