shabd-logo

साल निकल रहा है

19 दिसम्बर 2015

642 बार देखा गया 642

मेरे एक मित्र का एक सन्देश आया आप तमाम मित्रो से भी साझा करना चाहता हूँ :साल निकल रहा है 


साल  निकल  रहा है ..

कुछ नया  होता है ..

कुछ पुराने पीछे रह जाता है.. 

कुछ ख्वाहिशे दिल में रह जाती है ..

कुछ बिन मांगे दिल में रह जाती है.. 

कुछ छोड़ कर चले गए..

कुछ नए जुड़ेंगे इस सफर में 

कुछ मुझसे खफा है.. 

कुछ मुझसे बहुत खुश है ..

कुछ मुझे भूल गए ..

कुछ मुझे याद  करते है ..

कुछ शायद अनजान है ..

कुछ बहुत परेशान है ..

कुछ को मेरा इंतज़ार है .. 

कुछ को मुझे इंतज़ार है ..

कुछ सही है कुछ गलत भी है.. 

कोई  गलती तो माफ़ कीजिये ..

और कुछ अच्छा लगे तो मुझे याद कीजिये ..


वर्ष २०१५ के अंतिम माह मंगलमय हो जी 

शब्दनगरी संगठन

शब्दनगरी संगठन

नववर्ष की हार्दिक शुभकमनाएँ एवं बधाइयाँ, आपका और हमारा साथ सदा यूं ही बना रहे !

2 जनवरी 2017

1

जबसे छोड़ा मेरा साथ

12 दिसम्बर 2015
0
4
0

चेन्नई में आई बरसात और फलस्वरूप आये बाढ़ के हालात अब जब स्थिति सामान्य सी होने चल पड़ी है पेश करता हूँ अपने मित्र के हालात जब उनसे हुई मुलाकात रूठ गया था उनका एक मित्र और फिर रुकी नहीं थी बरसात जबसे छोड़ा आपने मेरा साथ बंद कर दी बात फिर नहीं रुकी बरसात ..पहले जब बरसात होती थी बेकाबू हालत होते थी हम आपस

2

चेन्नई में तबाही विनाश की कहानी

13 दिसम्बर 2015
0
3
0

मित्रो बिहार जैसे बाढ़ प्रभावित प्रदेश में पैदा होने के बावजूद भी मुझे कभी बाढ़ की  त्रासदी से रूबरू होने का मौका नहीं मिल पाया था हाँ अपने हिंदी विषय की टेक्स्टबुक में हमने सन १९७१ में पटना में  आई बाढ़ के विषय में अवश्य पढ़ा था की कैसे सड़को पे नाव चलती थी और लोगो की कितनी परेशानिया रही थी अभी पिछले हफ

3

साल निकल रहा है

19 दिसम्बर 2015
0
2
1

मेरे एक मित्र का एक सन्देश आया आप तमाम मित्रो से भी साझा करना चाहता हूँ :साल निकल रहा है साल  निकल  रहा है ..कुछ नया  होता है ..कुछ पुराने पीछे रह जाता है.. कुछ ख्वाहिशे दिल में रह जाती है ..कुछ बिन मांगे दिल में रह जाती है.. कुछ छोड़ कर चले गए..कुछ नए जुड़ेंगे इस सफर में कुछ मुझसे खफा है.. कुछ मुझसे

4

अग्रिम मुबारक नया साल

19 दिसम्बर 2015
0
3
3

जी आपने कहा कल साल  निकल  रहा है ..कुछ नया  होता है ..कुछ पुराने पीछे रह जाता है.. कुछ ख्वाहिशे दिल में रह जाती है ..कुछ बिन मांगे दिल में रह जाती है.. कुछ छोड़ कर चले गए..कुछ नए जुड़ेंगे इस सफर में कुछ मुझसे खफा है.. कुछ मुझसे बहुत खुश है ..कुछ मुझे भूल गए ..कुछ मुझे याद  करते है ..कुछ शायद अनजान है

5

हमारे देश के आला अधिकारी

26 दिसम्बर 2015
0
2
0

 हमारे देश के आला अधिकारी अपने पद के गुमान से है भारी हर छोटे बड़े काम के लिए उन्हें चाहिए अधीनस्थ कर्मचारी आलम तो ये है की कार्य दिवस समाप्ति पर साहब कहते है उनके ऑफिस की बिजली बत्ती भी बंद कर बस चार स्विच दबा नहीं पाते ये मिथ्याचारी ?हमारे देश के ये आला अधिकारीसाहब होते है  सत्ताधारी सेवक इनके सभी

---

किताब पढ़िए