मित्रो बिहार जैसे बाढ़ प्रभावित प्रदेश में पैदा होने के बावजूद भी मुझे कभी बाढ़ की त्रासदी से रूबरू होने का मौका नहीं मिल पाया था हाँ अपने हिंदी विषय की टेक्स्टबुक में हमने सन १९७१ में पटना में आई बाढ़ के विषय में अवश्य पढ़ा था की कैसे सड़को पे नाव चलती थी और लोगो की कितनी परेशानिया रही थी अभी पिछले हफ्ते ही चेन्नई में हमने इस विभीषिका और त्रासदी को ना केवल देखा बल्कि जिया भी इन सभी बातो को रेखांकित करती हुई एक कविता भी एक दिन बन आई और आप सभी से साझा भी करना चाहूंगा :
चेन्नई में तबाही और विनाश की कहानी
हमारे शहर चेन्नई में
धरती पे आया समंदर का सारा पानी
लेकर तबाही और विनाश की भयंकर कहानी
सड़क डूबा मकान डूबा
बस बंद ऑटो बंद
चल रहा ये कैसा खेल
बंद हो गयी थी रेल
प्रकृति कर रही मनमानी ?
लिख कर विनाश की भयंकर कहानी ..
ना आ सकते नाही जा सकते
ना नहा सकते और नाही खा सकते
चारो तरफ पानी ही पानी
नहीं है नेटवर्क और नहीं कोई वर्क
बिजली हो गयी गुल
बंद है कॉलेज स्कूल
टूट गए बाँध और पूल
ना खाने का बच रहा राशन
ना पीने को मिल रहा दूध और पानी
कैसे चलेगी जिंदगानी ?
तबाही और विनाश की भयंकर कहानी
चेन्नई में लाया है ये पानी ..
विपदा तेरी बहुत हुई ऐ उपरवाले
चीजे संभल नहीं रही अब संभाले
हे इंद्रदेव थोड़ा आप सुस्ता ले
हे सूर्यदेव जरा आप अपनी प्रखर किरण फिर हमपे डाले
सबकुछ है अब ऐ प्रभु अब तेरे हवाले
डूबा दे या हमें बचा ले
और चाहे तो लौटा ते फिर वही रवानी
चेन्नई की वही जिंदगानी
बंद करके ये तबाही विनाश की भयंकर कहानी ...