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चेन्नई में तबाही विनाश की कहानी

13 दिसम्बर 2015

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मित्रो बिहार जैसे बाढ़ प्रभावित प्रदेश में पैदा होने के बावजूद भी मुझे कभी बाढ़ की  त्रासदी से रूबरू होने का मौका नहीं मिल पाया था हाँ अपने हिंदी विषय की टेक्स्टबुक में हमने सन १९७१ में पटना में  आई बाढ़ के विषय में अवश्य पढ़ा था की कैसे सड़को पे नाव चलती थी और लोगो की कितनी परेशानिया रही थी अभी पिछले हफ्ते ही चेन्नई में हमने इस विभीषिका और त्रासदी को ना केवल देखा बल्कि जिया भी इन सभी बातो को रेखांकित करती हुई एक कविता भी एक दिन बन आई और आप सभी से साझा भी करना चाहूंगा : 


चेन्नई में तबाही और  विनाश की कहानी 


हमारे शहर चेन्नई में 

धरती पे आया समंदर का सारा पानी 

लेकर तबाही और विनाश की भयंकर कहानी 

सड़क डूबा मकान डूबा 

बस बंद ऑटो बंद 

चल रहा ये कैसा खेल 

बंद हो गयी थी रेल 

प्रकृति कर रही  मनमानी ?

लिख कर विनाश की भयंकर कहानी ..


ना आ सकते नाही जा सकते 

ना नहा सकते  और नाही खा सकते 

चारो तरफ पानी ही पानी 

नहीं है नेटवर्क और नहीं कोई वर्क 

बिजली हो गयी गुल 

बंद है कॉलेज स्कूल 

टूट गए बाँध और पूल 

ना खाने का बच रहा राशन 

ना पीने को मिल रहा दूध और पानी 

कैसे चलेगी जिंदगानी ?

तबाही और विनाश की भयंकर कहानी 

चेन्नई में लाया है ये पानी ..


विपदा तेरी बहुत हुई ऐ उपरवाले 

चीजे संभल नहीं रही अब संभाले 

हे इंद्रदेव थोड़ा आप सुस्ता ले 

हे सूर्यदेव जरा आप अपनी प्रखर किरण फिर हमपे डाले 

सबकुछ है अब ऐ प्रभु अब तेरे हवाले 

डूबा दे या हमें बचा ले 

और चाहे तो लौटा ते फिर वही रवानी 

चेन्नई की वही जिंदगानी 

बंद करके ये तबाही विनाश की भयंकर कहानी ...

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जबसे छोड़ा मेरा साथ

12 दिसम्बर 2015
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चेन्नई में आई बरसात और फलस्वरूप आये बाढ़ के हालात अब जब स्थिति सामान्य सी होने चल पड़ी है पेश करता हूँ अपने मित्र के हालात जब उनसे हुई मुलाकात रूठ गया था उनका एक मित्र और फिर रुकी नहीं थी बरसात जबसे छोड़ा आपने मेरा साथ बंद कर दी बात फिर नहीं रुकी बरसात ..पहले जब बरसात होती थी बेकाबू हालत होते थी हम आपस

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चेन्नई में तबाही विनाश की कहानी

13 दिसम्बर 2015
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मित्रो बिहार जैसे बाढ़ प्रभावित प्रदेश में पैदा होने के बावजूद भी मुझे कभी बाढ़ की  त्रासदी से रूबरू होने का मौका नहीं मिल पाया था हाँ अपने हिंदी विषय की टेक्स्टबुक में हमने सन १९७१ में पटना में  आई बाढ़ के विषय में अवश्य पढ़ा था की कैसे सड़को पे नाव चलती थी और लोगो की कितनी परेशानिया रही थी अभी पिछले हफ

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साल निकल रहा है

19 दिसम्बर 2015
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मेरे एक मित्र का एक सन्देश आया आप तमाम मित्रो से भी साझा करना चाहता हूँ :साल निकल रहा है साल  निकल  रहा है ..कुछ नया  होता है ..कुछ पुराने पीछे रह जाता है.. कुछ ख्वाहिशे दिल में रह जाती है ..कुछ बिन मांगे दिल में रह जाती है.. कुछ छोड़ कर चले गए..कुछ नए जुड़ेंगे इस सफर में कुछ मुझसे खफा है.. कुछ मुझसे

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अग्रिम मुबारक नया साल

19 दिसम्बर 2015
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जी आपने कहा कल साल  निकल  रहा है ..कुछ नया  होता है ..कुछ पुराने पीछे रह जाता है.. कुछ ख्वाहिशे दिल में रह जाती है ..कुछ बिन मांगे दिल में रह जाती है.. कुछ छोड़ कर चले गए..कुछ नए जुड़ेंगे इस सफर में कुछ मुझसे खफा है.. कुछ मुझसे बहुत खुश है ..कुछ मुझे भूल गए ..कुछ मुझे याद  करते है ..कुछ शायद अनजान है

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हमारे देश के आला अधिकारी

26 दिसम्बर 2015
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 हमारे देश के आला अधिकारी अपने पद के गुमान से है भारी हर छोटे बड़े काम के लिए उन्हें चाहिए अधीनस्थ कर्मचारी आलम तो ये है की कार्य दिवस समाप्ति पर साहब कहते है उनके ऑफिस की बिजली बत्ती भी बंद कर बस चार स्विच दबा नहीं पाते ये मिथ्याचारी ?हमारे देश के ये आला अधिकारीसाहब होते है  सत्ताधारी सेवक इनके सभी

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