भावों का हो मिलन मधुर सम्बन्धों में,
कब तक घुट-घुट जियूं कुटिल प्रतिबन्धों में,
बह निकला अनुराग समय की धारा में,
नहीं बचा कुछ स्वाद प्रेम के रंगों में। -१
अपनेपन की बेचैनी को ढूंढ रहा है मेरा मन,
टूट गईं पानी की परतें बिखर गई कतरन-कतरन,
धूप उठकर छाँव में रख दी हाथों में लेकर दर्पन,
दूर छिटक कर चले गए घर रूठ गया अपना आँगन-२
आज नहीं तो कल पिघलेंगे आँखों के आंसू बिरहन,
ख्वाब समेंटो नए-पुराने खट्टे-मीठे ये पल-छिन,
लगता है नजदीक सबेरा पूरब में भी हलचल है,
बदल रहा है यहाँ का मौसम लौट रहे बरखा,सावन।-३
उम्मींदों के पंख लगाओ फिर आएंगे अच्छे दिन,
मत बैठो दिल थाम के तोड़ो-छोडो गठ बंधन,
आज बदल दो हालातों को सबको लेकर साथ चलो,
तुम तो हो इक लहर समय की कभी ना करना छोटा मन। -४