वर दे वीणावादिनी शब्द-शक्ति संकल्प;
देना मुक्तक काव्य के नूतन,नवल विकल्प,
ज्ञानसुधार रसखान हो भाव-भूमि आलोक,
अक्षर-अक्षर मनुजता बुने मुक्तिका कल्प॥
प्रथम नमन माँ दीप्ति के चरणों में'अनुराग';
ज्ञान और विज्ञान का गूंजे अनुपम राग,
गूंजे अनुपम राग चतुर्दिश हो प्रकाशमय,
शब्द मंजरी पुष्प लताएं जन्में मधुर पराग॥