ग़ज़ल (रिश्तें भी बदल जाते समय जब भी बदलता है ) मुसीबत यार अच्छी है पता तो यार चलता है कैसे कौन कब कितना, रंग अपना बदलता है किसकी कुर्बानी को किसने याद रक्खा है दुनियाँ में जलता तेल और बाती है कहते दीपक जलता है मुहब्बत को बयाँ करना किसके यार बश में है उसकी यादों का दिया