नफरत मुझसे है।मेरे चाहने वाले, कभी नज़रों के सामने नही आते, मरने के बाद, मेरे, मुझे कफ़न उढ़ाने चले आते।मेरी खुशियों को टूटा आईना समझकर, चेहरा नही दिखातें।वही मेरे मरने के बाद, मेरी बाह पकड़ कर रोते रहे।जो मेरे जीते जी काँटों में खुशी के फूल खिलाते रहे।मेरे मरने के बाद मुझे गुलाबो की जाल से छुपाते रहे।ज
राजीव ने अपने पेन को ऊठाकरअंगूठे और उसके पास वाली उंगली से घुमाने लगा . इस तरह पेन को घुमाने की कला हर कॉलेज़ जाने वाला स्टूडेंट को कक्षा 12वीसे ही आ जाती है. इस कला मे जैसे ही कोई छात्र माहिर हो जाता है उसे लगने लगता हैउसने जिंदगी की एक बहुत बडी पहेली हल कर ली है.पूरी कहानी पढने के लिए निचे दी हुई