नफरत मुझसे है।
मेरे चाहने वाले, कभी नज़रों के सामने नही आते,
मरने के बाद, मेरे, मुझे कफ़न उढ़ाने चले आते।
मेरी खुशियों को टूटा आईना समझकर, चेहरा नही दिखातें।
वही मेरे मरने के बाद, मेरी बाह पकड़ कर रोते रहे।
जो मेरे जीते जी काँटों में खुशी के फूल खिलाते रहे।
मेरे मरने के बाद मुझे गुलाबो की जाल से छुपाते रहे।
जलाकर मेरी मैय्यत को शमशान में मुँह छुपाने लगे।
जो करते रहे मेरी बुराई, मेरे पास जब तक सास थी।
वह घर तब तक नही आए, जब तक जीने की आस थी।
उन्हें जलन सिर्फ हमसे थी न कि, मेरे हँसते खेलते घर से।
मेरे जाते ही वह मेरी घर की चौखट को न जाने क्यों रौंदने लगे।
दूसरे जन्म में उनसे पूछुंगा कि हमने क्या ख़ता की थी।
उन्हें नफ़रत थी मुझसे, मेरे कर्म से न की, मेरी औलाद से।