वक़्त कितनी जल्दी गुजरता है ना! पता ही नहीं चलता। जिस रफ्तार से हम किसी किताब के पन्ने पलटते हैं, उसी रफ्तार से साल बदलते जा रहे हैं । जिन्दगी मानो वहीं ठहर गई हो । कुछ नया नहीं दिखता। हर नए साल के दिन हम खुद से अनेक वादे करते हैं कि अब यहाँ से नए सिरे से जिंदगी शुरु करेंगे। जो कुछ अभी तक हुआ वो सब भूलकर एक नए कल का आगाज करेंगे। लेकिन क्या हम उन वादों को निभा पाते हैं?कल मेरे एक दोस्त को मैने बोला कि आज तो साल का आखिरी दिन है क्या प्लान है? चलो आज सारी पुरानी यादें ताजा करते हैं। उसने जवाब दिया कि दिन तो सारे एक जैसे होते हैं । ना आज कुछ अलग है और ना कल कुछ अलग होगा। वही दिन, वही रात और वही सब । हर दिन स्पैशल होता है । बस तुम उसका भरपूर उपयोग करो।
फिर क्यों किसी स्पैशल दिन के नाम पर वक़्त बर्बाद करना? साल बदलते रहते हैं लेकिन क्या सालों के बदलने से हमारी जिन्दगी में कुछ बदल रहा है? वो तभी बदलेगा जब हम खुद को बदलेंगें। खुद में सुधार लायेंगे और इसकी शुरुआत करने के लिए हमें किसी स्पैशल डे की जरुरत नहीं है ।
हर दिन हमें हमारी कमियों को सुधारने का मौका देता है । हर सुबह हमारे लिए एक अवसर होती है । लेकिन हम किसी स्पैशल डे के इंतज़ार में रहते हैं कि उस दिन से शुरुआत करेंगे। किसी विद्वान ने कहा है कि अच्छा काम शुरु करने के लिए कोई समय बुरा नहीं होता।
आपने गौर किया होगा कि आज के दिन आपको नव वर्ष की शुभकामनाएँ देने वालों की लाईन लग गई होगी। आपके फोन में वॉट्सएप्प, ईमेल, फेसबुक और इंस्टाग्राम,ट्विटर इन सब पर बधाई के सन्देशों की बाढ़ आ गई होगी।
सच्चाई से बताएँ तो इन में कई लोग वो होते हैं जिनसे हमारी काफी वक़्त से बात भी नहीं हुई होती है, जिनको हम भूल चुके होते हैं। इस दिन सब अपनापन जताते हैं जो कि क्षणिक होता है ।
हमें खुशियाँ मनाने के लिए, अपनों को याद करने के लिए, उन्हें वक़्त देने के लिए , खुद को नए सिरे से गढ़ने के लिए किसी स्पैशल डे की जरुरत नहीं है । आप कभी भी इसकी शुरुआत कर सकते हैं ।
तो आइये! इस नए साल के दिन हम खुद से ये वादा करते हैं कि हर दिन को स्पैशल बनायेंगे। खुशियाँ मनाने के लिए, अपनों को याद करने के लिए, खुद में सुधार लाने के लिए किसी स्पैशल डे का इंतजार नहीं करेंगे।
आप सभी को नए साल की बहुत-बहुत मुबारकबाद के साथ।।
- संध्या यादव "साही"