नवलपाल प्रभाकर दिनकर
साहित्यकार ४३ किताबें प्रकाशित
मौत खरीदता युवक
मौत खरीदता युवक एक बार मैं एक ट्रेन से कहीं बाहर से आ रहा था । अचानक एक 15-16 साल का लड़का मेरे पास हांफता हुआ आया और मेरे पास आकर खाली सीट देखकर कहने- भाई आप कौन हैं ? क्या इस सीट पर मैं बैठ सकता हूं । हां भाई, आईये, बैठिये । मगर आप अपना नाम तो ब
मौत खरीदता युवक
मौत खरीदता युवक एक बार मैं एक ट्रेन से कहीं बाहर से आ रहा था । अचानक एक 15-16 साल का लड़का मेरे पास हांफता हुआ आया और मेरे पास आकर खाली सीट देखकर कहने- भाई आप कौन हैं ? क्या इस सीट पर मैं बैठ सकता हूं । हां भाई, आईये, बैठिये । मगर आप अपना नाम तो ब
स्त्री
स्त्री महिला सशक्तिकरण, अबला नारी, नारी शक्ति पहचानो । कुछ अजीब सा लगता है मुझे ये सब । आज की नारी और पहले की नारी, क्या इसने अपनी शक्ति को आज तक नही पहचाना । यह तो वह नारी है जो हमेशा से अपनी शक्ति का दुरूपयोग करती आ रही है । हम कथा-कहानियों में प
स्त्री
स्त्री महिला सशक्तिकरण, अबला नारी, नारी शक्ति पहचानो । कुछ अजीब सा लगता है मुझे ये सब । आज की नारी और पहले की नारी, क्या इसने अपनी शक्ति को आज तक नही पहचाना । यह तो वह नारी है जो हमेशा से अपनी शक्ति का दुरूपयोग करती आ रही है । हम कथा-कहानियों में प
हिन्दी की पुकार
हिन्दी की पुकार एक रात मैं बैड पर अर्धनिद्रा में लेटा हुआ, रात के करीब 10:00-11:00 बजे का समय था । तभी मेरे कानों से एक अजीब-सी ध्वनि टकराई। वह ध्वनि थी - “मैं तेरा नामों-निषान ही मिटा दूंगी । तु एक इतिहास बन कर रह जायेगी । जिस तरह से इंसान किसी जगह
हिन्दी की पुकार
हिन्दी की पुकार एक रात मैं बैड पर अर्धनिद्रा में लेटा हुआ, रात के करीब 10:00-11:00 बजे का समय था । तभी मेरे कानों से एक अजीब-सी ध्वनि टकराई। वह ध्वनि थी - “मैं तेरा नामों-निषान ही मिटा दूंगी । तु एक इतिहास बन कर रह जायेगी । जिस तरह से इंसान किसी जगह
न्यायालय
न्यायालय आज सभी ऑफिस के आदमी कोर्ट की तरफ दौड़े जा रहे हैं । आज यहां पर उनके चहेते पटवारी का फैसला होने वाला था । जो कि दस हजार रूपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया था । कोर्ट लगभग दस बजे के आसपास शुरू हुआ । सभी कोर्ट में अपनी-अपनी सीट
न्यायालय
न्यायालय आज सभी ऑफिस के आदमी कोर्ट की तरफ दौड़े जा रहे हैं । आज यहां पर उनके चहेते पटवारी का फैसला होने वाला था । जो कि दस हजार रूपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया था । कोर्ट लगभग दस बजे के आसपास शुरू हुआ । सभी कोर्ट में अपनी-अपनी सीट
संस्कृति
संस्कृति हमारी संस्कृति जर्जर सी पुराने मकान की नींव पर खड़ी है । जिस मकान की नींव ही पुरानी हो चुकी है, तथा उसके कभी भी ढहने की आशंका है भला हममें से कोई ऐसे पुराने मकान में रहना चाहेगा। नही हमें ऐसी विरासत में मिली संस्कृति नही चाहिए। मेरे एक अजीज
संस्कृति
संस्कृति हमारी संस्कृति जर्जर सी पुराने मकान की नींव पर खड़ी है । जिस मकान की नींव ही पुरानी हो चुकी है, तथा उसके कभी भी ढहने की आशंका है भला हममें से कोई ऐसे पुराने मकान में रहना चाहेगा। नही हमें ऐसी विरासत में मिली संस्कृति नही चाहिए। मेरे एक अजीज
दूसरा जन्म
दूसरा जन्म अधेड़ उम्र की औरत गांव से बाहर काफी दूर एक बड़े से बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर चिल्ला-चिल्ला कर अपने आपको कोसती हुई रो रही थी, और कह रही थी - ये मेरी गलती थी भगवान, मैं अपनी जवानी में होने वाली उस गलती पर आज भी शर्मिंदा हूं । हे भगवान । मै
दूसरा जन्म
दूसरा जन्म अधेड़ उम्र की औरत गांव से बाहर काफी दूर एक बड़े से बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर चिल्ला-चिल्ला कर अपने आपको कोसती हुई रो रही थी, और कह रही थी - ये मेरी गलती थी भगवान, मैं अपनी जवानी में होने वाली उस गलती पर आज भी शर्मिंदा हूं । हे भगवान । मै
बदलाव
बदलाव वह औरत जिसका नाम कमला था । आज तो मुझे किसी भी किमत पर नही छोड़ने वाली थी । क्योंकि सुबह से ही हर किसी इंसान से या गली से गुजरने वाले बच्चे, बूढ़े या जवान से मेरा पता पूछती, फिर रही है क्योंकि अभी तीन दिन पहले ही मैं उस गली से गुजर रहा था, जिस
बदलाव
बदलाव वह औरत जिसका नाम कमला था । आज तो मुझे किसी भी किमत पर नही छोड़ने वाली थी । क्योंकि सुबह से ही हर किसी इंसान से या गली से गुजरने वाले बच्चे, बूढ़े या जवान से मेरा पता पूछती, फिर रही है क्योंकि अभी तीन दिन पहले ही मैं उस गली से गुजर रहा था, जिस
मांग
मांग कॉलेज के पिछे वाले ग्राऊंड में बहुत सारे पेड़ों के बीच एक लंबे-चौड़े छाया वाले पेड़ के नीचे सुमन किसी का इंतजार करते हुए बार-बार अपनी कलाई पर बंधी घड़ी को देख रही थी । शायद उसे किसी के आने का बेषब्री से इंतजार था । इसीलिए वह समय को रोकने की ना
मांग
मांग कॉलेज के पिछे वाले ग्राऊंड में बहुत सारे पेड़ों के बीच एक लंबे-चौड़े छाया वाले पेड़ के नीचे सुमन किसी का इंतजार करते हुए बार-बार अपनी कलाई पर बंधी घड़ी को देख रही थी । शायद उसे किसी के आने का बेषब्री से इंतजार था । इसीलिए वह समय को रोकने की ना
जामुन का पेड़
जामुन का पेड़ “रवि...., रवि बेटे अन्दर आओ ।“ “आया मां, जरा यह पेड़ और लगा दूं ।” “क्या रवि बेटे तुम भी दिन भर पेड़ लिए फिरते हो ।” झल्लाते हुए मां ने कहा । “देखिए ना मां, आज मेरी इस छोटी सी बगिया में फिर से कितने सुन्दर फूल खिले हैं ।” “हां फूल तो
जामुन का पेड़
जामुन का पेड़ “रवि...., रवि बेटे अन्दर आओ ।“ “आया मां, जरा यह पेड़ और लगा दूं ।” “क्या रवि बेटे तुम भी दिन भर पेड़ लिए फिरते हो ।” झल्लाते हुए मां ने कहा । “देखिए ना मां, आज मेरी इस छोटी सी बगिया में फिर से कितने सुन्दर फूल खिले हैं ।” “हां फूल तो