धरती में कंपन (कविता)
सहसा,
अचानक बढ़ीं धड़कन,
हृदय में नहीं,
धरती के गर्भ में।
मची हलचल,
मस्तिष्क में नहीं,
भु- पर्पटी में।
सो गये सब,
मनुष्य सहित,
बड़े-बड़े मकान।
सो गये सब
पशुओं सहित,
बड़े-बड़े वृक्ष।
मचा कोहराम,
जन- जीवन में।
हुआ अस्त-व्यस्त
लोगों का जीवन।
फट गया कहीं-कहीं,
धरती का कपड़ा।
टूट गया हर -कहीं,
कोई धागा नहीं,
ढ