देशद्रोहीयों के कारण कैसी हालत बन गई है।
यहाँ लुट- घसोट की जैसी आदत बन गई है।
नहीं किसी पर कोई रहम, यहाँ चलता है मनमानी,
अपने स्वार्थ को पूर्ण करना आदत बन गई है।
आज हमारे देश की कैसी हालत बन गई है------।
हो रहा है हर जगह पर भारी-भारी अत्याचार।
मंत्री से अधिकारी तक नहीं करता कोई विचार।
आज भाई ही भाईचारे से दूर रहना चाहता है ।
यहां रहने वाले लोगों में ये कैसी आदत बन गई है।
आज हमारे देश की कैसी हालत बन गई है------।
जानबूझकर आज यहाँ अनजान बने रहते हैं।
दूसरों को ये राह बतलाकर खुद नहीं चलते हैं।
झूठे वादे झूठे सपने जनता को दिखलाते हैं।
झूठा दिलासा देना ही इनकी आदत बन गई है।
आज हमारे देश की कैसी हालत बन गई है------।
नुक्कड़ और चौराहे पर कानूनी राह बताते हैं।
कुर्सी पाने के चक्कर में ये फर्ज को भूल जाते हैं।
वोट को पाने के कारण सबको सिर झुकाते हैं।
ऐसा करना ही इनके, जीवन की आदत बन गई है।
आज हमारे देश की कैसी हालत बन गई है------।
____________________________रमेश कुमार सिंह