वास्तविकता यही है कि आज हम मिलावट के युग में जी रहे हैं। जिस भी चीज में देखो कुछ-न-कुछ मिला होता है। हम लोगों को कोई भी खाद्य पदार्थ अपने शुद्ध रूप में नहीं मिल पाता जिनको पाना हम सबका अधिकार है। हमारा दुर्भाग्य है कि हमारे जीवन के साथ यह मिलावट का खेल चल रहा है। प्रायः टीवी और समाचार पत्रो
दृष्टिकोण और नजरिया दोनों अलग अलग हो सकते है? ईमानदार राजनीती में मिलावट भर्ष्टाचार का, भर्ष्टाचार में मिलावट ईमानदारी का ज़हर है?दबंग राजनीती में मिलावट शराफत का, शराफत वाली राजनीती में मिलावट दबंगई का ज़हर है?धर्म निरपेक्षता की राजनीती में धर्म का, और धर्म की राजनीती में मिलावट धर्म निरपेक्षता ज़हर ह