नीलांजना और कमला जब घर आते है तो इतनी चहलपहल , हाथी घोड़े देखकर हैरान रह जाते है ।कमला कहती है यह क्या हो गया हम कही गलत जगह तो नही आ गये ।
नीलू कहती है नही रे वह देख ना अपना ही तो गांव है ,
वह लोग देखती है , पूरा गांव शामियाने से सजा है , मैदानो सड़को पर ज़ाज़म बिछे हुए है जगह जगह बड़े बड़े चूल्हे बने हुये है उनमें बड़े से पतिलो में खाना बन रहा है । अलग अलग पकवानों की खुशबू आ रही है । तरह तरह की मिठाईयां बन रही है । और लगभग पूरा गांव ही काम मे लगा हुआ है । उत्सव का माहौल लग रहा था । इतने में किसी की नजर नीलू पर गयी । तो वह चिल्ला उठा , अरे नीलू आ गयी । बस फिर क्या था सभी लोगो ने नीलू के पास दौड़ लगा दी ,
सब नीलू के आस पास घेरा बनाकर खड़े हो गये , अलग अलग सी आवाजे आने लगी
हमारी नीलू कितनी भाग्यवान है ना ,
मुझे तो पहले ही पता था एक दिन यह रानी बनेगी,
कितने अच्छे दिल की है , सबकी सायहता करती है भगवान ऐसे लोगो की ही फल देते है ।
नीलू तो बहुत अच्छी लड़की है ।
नीलू को बहुत आश्चर्य होता है ।, क्योकि उसने अभी तक यही सुना था अपने बारे में । अपसुगनी, कलमुँही, अनाथ, माँ बाप को खा गयी, सुबह सुबह कहां मुँह देख लिया इसका ,
अब यह उल्टी गंगा कैसे बह रही है ।
फिर बूढ़ी दादी नानीयां , बलॉएं लेने लगी, बन्ना बन्नी गाने लगी , गांव की बहुये नजर उतारने के लिये होड़ करने लगी ,
कोई राई नून से , तो कोई मिर्ची से , तो कोई ताबीज ही गले मे बांधने लगी ।
सब लोग बधाई देने लगे ।
नीलू को कुछ भी समझ नही आ रहा था ।
इतने में उसकी चाची आती है और सीधी नीलू के पास पहुंचकर उसके सिर पर हाथ फेर कर कहने लगी क्यों इतनी भीड़ लगाकर मेरी बच्ची को परेशान कर रहे हो । देखो ना कितनी पसीना पसीना हो गई है कितनी गर्मी लग रही है उसे ।
चल बेटी घर चल और चाची हाथ पकड़ कर घर के अंदर ले जाती है नीलू को विश्वास ही नहीं होता कि यह हो क्या रहा है ।
वह कमला को कहती मुझे चिकोटी तो काट , कही मैं सपना तो नहीं देख रही हूँ ।
कमला खुद के हाथ पर ही चिकोटी काटती है ।
उसके मुंह से आउच निकल जाता है , फिर वह कहती है नहीं नीलू यह सपना नहीं यह सब सच हो रहा है ।
चाची उसको अंदर ले जाकर कुर्सी पर बिठा देती है ।
रूपा पंखा करने लगती है । वह रूपा से कहती है जरा अच्छे से पंखा झल , दीदी पसीना पसीना हो रही है ।
पास बैठी कमला के मुंह से निकलता है दीदी ।
चाची उसको घूरकर देखती है और कहती है , तेरे को तेरी माँ याद कर रही थी कमला ।
कमला चली जाती है
फिर बेटे रघु से कहती जा पानी लेकर आ दीदी के लिये , फिर थोड़ा रुककर कहती है ऐसा कर शर्बत ही ले आ ।
फिर नीलू के सर पर हाथ फेर कर कहती है बेटा आज मैंने तेरे पसंद का बादाम का हलवा बनाया है ।
और हलवा अपने हाथों से खिलाने लगती है ।
नीलू को समझ में नहीं आ रहा हो क्या रहा है , चाची का प्यार देखकर उसकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं इतने में दादी आ जाती है ।
नीलू उठकर दादी से गले लग कर फूट-फूट कर रोने लगती है । फिर कहती है , दादी यह सब क्या हो रहा है मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा । सब मुझसे इतना प्यार क्यो कर रहे है । दादी बताओ ना दादी।
उसकी दादी प्यार से बालों को सहलाते हुआ कहती है , मेरी बच्ची तेरे दुख के दिन चले गए अब तेरी जिंदगी में खुशियां ही खुशियां है । और आंखों में आये आँसू को पोछते हुए कहती है रोने का समय नहीं है अब तो हंसने का समय आ गया है ।
रूपा कहती है दीदी आपकी शादी होगी, मैं तो रेशम का लहंगा लुंगी , चाची कहती है तेरी दीदी तुझे एक क्या दस दस लहंगे बनवा देंगी उसे किस चीज की कमी है ।
नीलू आश्चर्य मिश्रित ख़ुशी से दादी की तरफ देखने लगती है ।
दादी कहती है हां बेटा, तू रानी बनेगी , तेरे लिए राजा साहब का रिश्ता आया है ।
नीलू पूछती है कौन ।
चाची प्यार से कहती है , अरे पगली ही है मेरी बच्ची, अपने देश के राजा का और किसका ।
नीलू को गश आने लगते है वह सम्भल कर कहती है । राजाजी की ।
दादी कहती है ,हाँ मेरी बच्ची अब तू अंदर चलकर आराम कर ले । फिर सब बातें बताती हूं ।
दादी उसे बताती है कि राजमाता खुद ने राजा जी के लिए उसको मांगा है ।।
नीलू कहती है पर दादी उन्होंने तो मुझे देखा ही नहीं है फिर कैसे ।
दादी कहती है तेरे गुणों के कारण , उन्हें किसी ने बताया कि नीलू बहुत गुणी लड़की है तो वह शादी को तैयार हो गयी ।
नीलू आश्चर्य से पूछती है सच दादी,
दादी अपनी आँख की किनारियों को पोछती है जो आंसुओ से भर गयी थी । फिर कहती है हाँ बेटा बिल्कुल सच ।
फिर नीलू कहती है रानीयां तो कितनी सुंदर होती है मैं कैसे रानी बन सकती हूं ।
दादी कहती है मेरी बच्ची ऐसी बात मत बोल तू बहुत सुंदर है ।
नीलू की आंखों में भी सपने तैरने लगते हैं वह खुद को रानी के भेष में देखने लगती है उसने रेशमी कपड़े पहन रखे हैं और गहनों से पूरा शरीर दमक रहा है नौकर चाकर आसपास खड़े हैं ।
वह ताली बजा कर सबको आदेश दे रही है ।
रूपा कहती है अरे दीदी आप ताली क्यों बजा रही हो ।
नीलू को अपने पर ही हंसी आ जाती है
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राज महल में राजा सूर्यमल उदास से बैठे हैं । इतने में रानी मां आती है। वह कहती है बेटा तू क्यों उदास बैठा है ।
सूर्यमल कहते हैं मां हम यह शादी नहीं करना चाहते ।
रानी मां कुछ बोलने को होती है कि इतने में दासी आकर बोलती है रानी प्रभावती के तबीयत खराब है राजवैद्य जी ने आप को बुलवा भेजा है ।
सूर्यमल कहता है देखो माँ उसके आने की खबर से प्रभावती की तबीयत खराब हो गई और आगे पता नहीं अब क्या क्या होगा ।
और कोई गंभीर बात ही होगी इसलिये राजवैधजी ने हमे बुलवाया है ।
रानी मां कहती चलो देखते तो है हम जाकर की हुआ क्या है ।
वे लोग प्रभावती के महल में पहुचते है ।
राजवैध कहते है बधाई हो राजा साहब बधाई हो आप बाप बनने वाले हैं ।
राजा सूर्यमल बहुत खुश हो जाते है ।
वह कहते है आप सच कह रहे हो ना।
वैधजी कहते है मैं आपसे झूठ क्यों बोलूंगा ।
राजाजी अपने गले के मोतियों का हार वैधजी को दे देते हैं ।
रानी मां कहती है देखो उसके आने की खबर से ही खुशी आने लगी तो जब खुद आ जाएगी तब क्या होगा ।
राजाजी बात को अनसुना कर के प्रभावती का हाल चाल पूछने लगते है ।
क्रमशः