रात को पंडिताइन पंडितजी को नीलांजना की कुंडली दिखाती है ।
पंडित जी उसकी कुंडली देखते है और गहन चिंतन में डूब जाते है ।
पंडिताइन उनसे पूछती है, आपने बताया नहीं कब होगी नीलू की शादी, कुछ योग है भी कि नही अभी ,
ऐसा करिए आप ही उसके लायक कोई वर खोज लीजिए बेचारी अनाथ लड़की को अच्छा घर बार मिल जाये और क्या चाहिए ।
अम्मा भी बहुत परेशान रहती है उसके लिए , बेचारी का बुढ़ापा चिंता रहित हो जायेगा ।
पंडित जी कुछ नहीं बोलते हैं तो पंडिताइन कहती है "आप कुछ बोलिए तो सही"
पंडित जी कहते हैं अरे बताता हूं बाबा बताता हूं । कुछ समय तो दो मुझे ।
फिर वे कहते है बड़ी अद्भुत कुंडली है इस लड़की की बहुत ही कम होती है ऐसी कुंडलिया सभी शुभ ग्रह अपनी अपनी जगह पर विराजमान है, राज योग की कुंडली है इसकी , बहुत ही जल्द इसका भाग्य बदलने वाला है , और विवाह का तो प्रबल योग है अभी इसका ।
पंडिताइन कहती है "" राज योग"" अरे वाह पर अभी तो नौकरों सा जीवन जी रही है । अपने चाचा चाची की दया पर ।
पंडित जी कहते है , वही तो दोष है इसकी कुंडली मे ,
पंडिताइन कहती है मतलब ,
पंडित जी कहते है वैसे तो सुख और दुःख नदी के दो किनारों जैसे है जो आपस मे कभी नही मिलते , दुख होता है तो सुख नही , सुख होता है तो दुख नही पर इसकी कुंडली मे , सुख के साथ दुख भी जगह बनाये बैठा है ।
"अरे फिर" पंडिताइन दुखी होकर बोली ,
अरे इतना परेशान होने की जरूरत नही है यह तो जीवन की सच्चाई है , दुःख सुख तो लगा ही रहता है । तुम तो अम्मा को खुशखबरी दे देना , की विवाह का प्रबल योग है , और घर बैठे रिश्ता आ जायेगा ।
पंडिताइन खुश हो जाती है ।ह कहती है मैं कल सुबह ही अम्मा को बता दूंगी ।
पंडितजी गहरी सोच में डूब जाते है ।
इधर राज महल में , रानी माँ कुलगुरु और राजगुरु दोनो को बुलवा भेजा ।
कुल गुरु कहते हैं रानी माँ हमने पहले ही बता दिया है कि दोनों रानियों के कुंडली में कोई दोष नहीं है उन्हें संतान के योग है ।जो दोष है वह तो रजाजी की कुंडली में है । उनके सभी ग्रह विपरीत घर में बैठे हुए हैं और वह दोनों रानियों से मेल नहीं खाते। इसलिए संतान होने के योग तो बनते हैं मगर संतान प्राप्त नहीं हो पाती है ।
रानी माँ कहती है , इसका कुछ उपाय तो होगा ही आप बताईये हम कोई भी उपाय करने के लिए तैयार है । जिससे हमारे राज्य को उत्तराधिकारी मिल जाए ।
कुलगुरु कहते है रानी मां इसका ऐसा कोई भी उपाय नहीं है की यह दोष दूर हो ।
तो रानी माँ निराश होकर कहती है तो क्या हमारा सूर्यमल निरवंश ही रहेगा ।
राजगुरु कहते है , बस एक यत्न हो सकता है कि हम राजा जी का विवाह ऐसी कन्या से कर दें जिसके सब ग्रह सही जगह पर बैठे हो ।
जिससे दोनों कुंडलियों का मेल हो जाएगा और राज्य को उत्तराधिकारी प्राप्त हो जायेगा।
रानी मां चौककर कहती है "क्या ,एक और विवाह सूर्यमल इसके लिए तैयार नहीं होगा । वो तो चन्द्रप्रभा के साथ विवाह करने को बड़ी मुश्किल से तैयार हुआ था , पहले तो साफ मना कर दिया था फिर उसकी सुंदरता देखकर हामी भर दी थी ।
राजगुरु कहते हैं पर रानी मां हमने सब तरफ से गणना करके देख ली है इसका केवल यही उपाय है ।
रानी मां कहती है पहले तो सूर्यमल तैयार ही नहीं होगा और अगर सूर्य मल तैयार हो भी गया तो ऐसी लड़की ढूंढेंगे कहां से ।
कुलगुरु कहते हैं इसके लिए मुश्किल तो होगी पर आप चिंता ना करें मैं अभी पूरे राज्य भर के पंडितों को एकत्र करके यह कह देता हूं की ऐसी कुंडली वाली लड़की किसी की नजर में आये तो हमे तुरन्त अवगत कराएं ।
राजमाता गहरी सांस लेकर कहती है , कि आप उस लड़की को ढूंढिए और सूर्यमल को मनाने की जिम्मेदारी हमरो रहेगी ।
राजमाता राजा सूर्यमल को अपने कमरे में बुलाती है
सूर्यमल आकर कहते हैं रानी मां आपने हमें याद किया
रानी मां कहती है बेटा आपसे बहुत जरूरी बात करनी है ।
जी कहींये ना
पहले वादा करो कि आप हमारी बात मानोगे ।
रानी मां आप ऐसा क्यों कह रही है हमारी तो जान भी आपके लिए हाजिर है आप जो कहती है हम वह मानते हैं सूर्यमल कहते हैं ।
रानी मां कहती है मगर यह बात अलग है आपको हमसे वादा करना पड़ेगा ,
सूर्यमल कहते है ठीक है वादा , अब तो बताइए ।
रानी मां कहती है कि आप एक और विवाह कर ले
तो सूर्यमल कहते है रानी मां आप जानती तो है हम और विवाह नहीं करना चाहते ।
बेटा मैंने तुम्हारी कुंडली दिखाई है , और कुलगुरु का भी यही कहना है कि तुम तीसरा विवाह करोगे तो तुम्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी ।
पर मैं और विवाह नहीं करना चाहता
रानी माँ कहती है बेटा तुम नहीं चाहते कि हमारा वंश आगे बढे , हमारे राजघराने का उत्तराधिकारी मिले ।
सूर्यमलकहते है , मां क्यों नहीं यह तो हम चाहते ही है की हमारा बेटा ही हमारे बाद राज्य संभाले ।
पर बेटा तुम्हारी यह इच्छा तो तुम्हारी शादी करने से ही पूर्ण होगी तुम्हें शादी करनी ही पड़ेगी । और तुमने मुझसे वादा भी किया है ।
आखिर सूर्यमल थक हार कर कहते हैं ठीक है रानी मां आप जैसा कहोगे मैं वैसा ही करूंगा ।और वह चले जाते हैं ।रानी माँ उन्हें जाते हुए देखती है ।
और मन में सोचती है कि मैं जानती हूं तुम ने यह फैसला मेरी वजह से लिया है दिल से तुम्हारी बिल्कुल भी ईच्छा नहीं है । यह विवाह करने की ।कि ।
क्रमशः