नीलांजना उदास होकर कहती है कमली तू भी मुझे भूल जाएगी ।
कमला उसे गले लगाकर कहती है । नहीं रे पागल मुझे तेरी बहुत याद आएगी । तेरे बिना कैसे रहूंगी मैं बापू से कहूंगी कि जहां तेरा ब्याह हो रहा है वहां वह मेरा भी ब्याह करा दे ।
फिर दोनो हँसने लगती है ।
फिर नीलू थोड़ा गंभीर होकर कहती है , कमला मेरा पति मुझे प्यार तो करेगा ना ,
कमला कहती है तू ऐसा क्यो कह रही है ।
नीलू उदास होकर कहती है मैं सुंदर नही हूं ना ।
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पंडित जी नीलांजना के चाचा के घर राजा के द्वारा दी हुई भेंट लेकर गाजे बाजे के साथ आते है ।
बाजे की आवाज सुनकर आसपास के और नीलांजना के घर के भी सभी लोग बाहर निकल आते हैं ।
सबको लगता है किसी की बारात आ रही है , और गांवों में अक्सर यही होता है , सभी लोग घरों के बाहर निकलकर बारात देखने लगते है ,और बच्चे तो बरात के साथ नाचने लगते है ।
जब सब पंडित जी को लाव लश्कर ,हाथी, घोड़े, सैनिकों और डोली के साथ देखते है तो सबको बहुत आश्चर्य होता है ।
पर जब पंडिताईन देखती है की पंडितजी घोड़े पर बैठकर, गाजे बाजे के साथ डोली लेकर आ रहे है तो वह अपना माथा पिट लेती है और बोलती है ओ मेरी मैया यह क्या हुआ , पंडितजी दूसरा विवाह करके ले आये। मेरे तो भाग ही फुट गये, और रोने लगती है । आसपास की महिलाएं उन्हें ढांढस बंधाती है ।
नीलांजना और कमला का घर पास पास में म् ही था पंडित जी वही रुकते हैं और घोड़े से उतरते हैं तो पंडिताइन दौड़ के उनके पास जाती है और उनके सीने पर मुक्कों को से प्रहार करती है , और विलाप करते हुऐ कहती है यह क्या किया आपने , यह क्या किया फिर कटे वृक्ष की भांति जमीन पर गिर जाती है।
। पंडित जी उसे उठाकर कहते हैं अरे भाग्यवान मेरी बात तो सुनो।
पंडिताइन रोती ही रहती है वह बात ही नहीं सुनती है। तो पंडित जी तेज स्वर में बोलते हैं" भाग्यवान पहले मेरी बात तो सुनो " ।
पंडिताइन चुप हो जाती है ,
पंडितजी कहते क्या हुआ तुम्हें क्या लग रहा है मैं विवाह कर के आया हूं ।
अरे मेरी माँ यह सब नीलांजना के लिए है ।
"क्या" पंडिताइन के मुँह से निकलता है
, और सब लोगो के मुंह आश्चर्य से खुले के खुले रह जाते है ।
उसके बाद चाची भी पंडित जी के पास आ जाती है ।
और कहती है , यह सब नीलू के लिये है । किसने भेजा है क्यो भेजा है ।
पंडितजी कहते है हमारी राजमाता ने भेजा है । ये नीलू को महारानी बनाना चाहती है ।
यह सुनकर चाची गश खाकर गिरते गिरते बची , वो तो चाचा ने आकर थाम लिया नही तो सर ही फट जाता ।
फिर वह कहती है क्या यह हाथी घोड़े हीरे जवाहरात डोली सब नीलू के लिये है राजा जी उससे शादी करना चाहते हैं।
फिर मुंह बना कर कहती है उससे.....उस बदसूरत से शादी करना चाहते हैं ।
चाचा कहते हैं पंडित जी क्या बात कर रहे हैं आप ।
तो पंडित जी कहते चलो भाई घर के भीतर चलो विस्तार से सब बताता हूं ।
सब नीलांजना के घर के भीतर चले जाते हैं ।
और जो लोग भीतर नही जा पाते वे सब नीलू के घर के आस पास इस तरह से इकठ्ठे हो जाते है , जिस प्रकार से मधुमक्खीयां अपने छत्ते को घेरे रखती है ।
और बच्चे उन्हें तो नया खेल मिल गया वे लोग हाथी घोड़ों को देखने लगते हैं उनके लिए पहला अवसर था जब गांव में पुरा लश्कर साथ में आया था ।
नीलांजना और कमला इस बात से बेखबर तालाब किनारे अठखेलियां कर रही थी ।
पंडित जी सब बातें विस्तार पूर्वक बताते हैं और कहते हैं भाग खुल गये हमारे नीलू के तो ।
राजा जी का रिश्ता घर बैठे आया है ।
और यह सब भेंट , आप लोगो और नीलू के लिये रानी माँ ने पहुचाई है और हम सब लोगों को विवाह के लिये राज महल बुलाया है ।
दादी कहती है पर राजा जी की पहले ही दो शादीयां हो चुकी है ।
चाची कहती है कैसी बात कर रही हो अम्मा राजा लोग तो शादियां करते ही रहते है । आप तो यह सोचो नीलू रानी बनेगी राजमहल में रहेगी ।
दादी दबी जुबान में कहती है पर राजा की उम्र भी तो .......
वह अपनी बात भी पूरी नही कर पाती की चाची कहती है , पागल हो गयी है यह बुढ़िया ।
चाचा उसे घूरकर देखते है ।
चाची तुरंत संभल के बोलती है अरे अम्मा विवाह में लड़के की कौन सी उम्र देखी जाती है । आप तो बस शादी की तैयारी करो चाचा और पंडित जी भी उसकी बात का समर्थन करते हैं ।
दादी कहती है पर उन्होंने हमारे नीलू को देखा ही नहीं है । पंडितजी कहते है अरे देखने दिखाने से क्या होता है नीलू की कुंडली ही इतनी जबरदस्त थी कि रानी मां ने आगे होकर उसका हाथ मांग लिया।
फिर दादी निरुत्तर हो जाती है ।
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राजमहल को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है , विभिन्न तरह की रोशनियों से जगमगा रहा था वह।
और रनिवास में रानी चंद्रभागा का दिल जार जार रो रहा था , वो विश्वास ही नही कर पा रही थी कि राजाजी को बांटने के लिये तीसरी रानी आने वाली है ।
वह सोचती है राजाजी मुझे भूल जायेंगे । फिर वह कांच में अपने चेहरे को देखती है । और कहती है मैं सुंदर हूँ । पर वह हूर परी हुई तो ?
फिर वह अपने चेहरे पर पावडर की परत चढ़ाकर इठलाकर कहती है मुझसे सुंदर कोई नही ।
इतने में दासी आकर कहती है रानी साहिबा , राजाजी पधार रहे है ।
चंद्रभागा बहुत खुश हो जाती है वह अपने वस्त्र और गहनों को सही करती है। और पलंग पर बैठ जाती है।
राजा आते हैं और कहते हैं रानी जी अब आपका स्वास्थ्य कैसा है ।
चंद्रभागा कहती है ठीक है राजा साहब मगर राजकुमार के बच न पाने का गम दुखी कर देता है ।
हां रानी जी हमें भी अपने राजकुमार के खोने का गम है पर क्या करें ईश्वर को यह मंजूर नहीं था कि वह हमारी गोदी में खेले ।
चंद्रभागा राजा जी के पास खसक जाती है और उनकी गोदी में अपना सर रख कर कहती है ईश्वर चाहेंगे तो बहुत ही जल्दी नन्हा सा राजकुमार हमारी गोदी में होगा ।
राजा कहते हैं हम भी ईश्वर से दिन रात यही प्रार्थना करते हैं , पर यह हमारी सुनता ही नही ।
फिर चन्द्रभागा कहती है तो आप तीसरी शादी क्यों कर रहे हो ।
राजा साहब कहते हैं हम तो नहीं करना चाह रहे थे पर रानी मां का हुकुम है तो हमें मानना ही पढ़ा ।