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निरंजन की डायरी

निरंजन

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पुस्तक के भाग

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प्रकृति, पर्यावरण और हम: पानीवाले बाबा: राजेंद्रसिंह राणा

23 मई 2016
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p { margin-bottom: 0.25cm; direction: ltr; color: rgb(0, 0, 10); line-height: 120%; text-align: left; }p.western { font-family: "Liberation Serif","Times New Roman",serif; font-size: 12pt; }p.cjk { font-family: "Arial Unicode MS",sans-serif; font-size: 12pt; }p.ctl { font-family: "Lohit Marathi"

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फॉरेस्ट मॅन: जादव पायेंग

27 मई 2016
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कई बार हम कहते हैं कि अकेला इन्सान क्या कर सकता है? जो कुछ भी परिवर्तन करना हो, वह 'अकेला' कर ही नही सकता है, यह काम तो सरकार का है; यह हमारी बहुत गहरी धारणा है| लेकिन जिन लोगों को उनकी क्षमता का एहसास होता है, वे अकेले ही बहुत कुछ कर सकते हैं| उनकी पहल शुरू तो अकेले होती है, लेकिन धीरे धीरे बड़ा क़ाफ

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प्रकृति, पर्यावरण और हम ७: कुछ अनाम पर्यावरण प्रेमी!

31 मई 2016
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कुछ अनाम पर्यावरण प्रेमी!एक बार एक सज्जन पहाडों में चढाई कर रहे थे| उनके पास उनका भारी थैला था| थके माँदे बड़ी मुश्किल से एक एक कदम चढ रहे थे| तभी उनके पास से एक छोटी लड़की गुजरी| उसने अपने छोटे भाई को कन्धे पर उठाया था और बड़ी सरलता से आगे बढ़ रही थी| इन सज्जन को बहुत आश्चर्य हुआ| कैसे यह लड़की भाई का ब

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प्रकृति, पर्यावरण और हम ८: इस्राएल का जल- संवर्धन

6 जून 2016
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इस्राएल! एक छोटासा लेकिन बहुत विशिष्ट देश! दुनिया के सबसे खास देशों में से एक! इस्राएल के जल संवर्धन की चर्चा करने के पहले इस्राएल देश को समझना होगा| पूरी दुनिया में फैले यहुदियों का यह देश है| एक जमाने में अमरिका से ले कर युरोप- एशिया तक यहुदी फैले थे और स्थानिय लोग उन्हे अक्सर 'बिना देश का समाज' क

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दुनिया के प्रमुख देशों में पर्यावरण की स्थिति

13 जून 2016
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इस्राएल की बात हमने पीछले लेख में की| इस्राएल जल संवर्धन का रोल मॉडेल हो चुका है| दुनिया में अन्य ऐसे कुछ देश है| जो देश पर्यावरण के सम्बन्ध में दुनिया के मुख्य देश हैं, उनके बारे में बात करते हैं| एनवायरनमेंटल परफार्मंस इंडेक्स ने दुनिया के १८० देशों में पर्यावरण की स्थिति की रैंकिंग की है| देशों म

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प्रकृति, पर्यावरण और हम: कुछ कड़वे प्रश्न और कुछ कड़वे उत्तर

28 जून 2016
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पर्यावरण के सम्बन्ध में चर्चा करते हुए हमने कई पहलू देखे| वन, पानी और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संवर्धन के कई प्रयासों पर संक्षेप में चर्चा भी की| कई व्यक्ति, गाँव तथा संस्थान इस दिशा में अच्छा कार्य कर रहे हैं| लेकिन जब हम इस सारे विषय को इकठ्ठा देखते हैं, तो हमारे सामने कई अप्रिय प्रश्न उपस्थित ह

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इन्सान ही प्रश्न और इन्सान ही उत्तर

4 जुलाई 2016
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उत्तराखण्ड में हो रही‌ तबाही २०१३ के प्रलय की याद दिला रही है| एक तरह से वही विपदा फिर आयी है| देखा जाए तो इसमें अप्रत्याशित कुछ भी नही है| जो हो रहा है, वह बिल्कुल साधारण नही है, लेकिन पीछले छह- सात सालों में निरंतर होता जा रहा है| हर बरसात के सीजन में लैंड स्लाईडस, बादल फटना, नदियों को बाढ और जान-

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चेतावनी प्रकृति की: २०१३ की उत्तराखण्ड आपदा के अनुभव १

11 जुलाई 2016
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शब्दनगरी के सभी मान्यवरों को प्रणाम! २०१३ की उत्तराखण्ड आपदा के अनुभव आज भी प्रासंगिक हैं| उन अनुभवों को आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ| धन्यवाद|

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चेतावनी प्रकृति की: २०१३ की उत्तराखण्ड आपदा के अनुभव २

14 जुलाई 2016
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चेतावनी प्रकृति की: २०१३ की उत्तराखण्ड आपदा के अनुभव ३

19 जुलाई 2016
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चेतावनी प्रकृति की: २०१३ की उत्तराखण्ड आपदा के अनुभव ४

25 सितम्बर 2016
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चेतावनी प्रकृति की: २०१३ की उत्तराखण्ड आपदा के अनुभव ५

28 सितम्बर 2016
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चेतावनी प्रकृति की:२०१३की उत्तराखण्ड आपदा के अनुभव ६

10 अक्टूबर 2016
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