shabd-logo

प्रकृति, पर्यावरण और हम: पानीवाले बाबा: राजेंद्रसिंह राणा

23 मई 2016

190 बार देखा गया 190

प्रकृति, पर्यावरण और हम: पानीवाले बाबा: राजेंद्रसिंह राणा


सूखे और अकाल के रेगिस्तान में हरियाली जैसे लगनेवाले कुछ उदाहरण भी हैं! उनमें से एक है राजेन्द्रसिंह राणा जी अर्थात् भारत के पानीवाले बाबा (Waterman of India)! आज यह इन्सान कई राज्यों के अकाल से संघर्ष करता हुआ नजर आता है| पहले राजस्थान के कई गाँवों मे जोहड़ और जलस्रोतों को पुनरुज्जीवित करने के बाद आज वे देशभर जाते रहते हैं और लोगों को पानी के संग्रह का महत्त्व बताते हैं| साथ में कई सरकारी योजनाओं को भी मार्गदर्शन देते हैं| द गार्डियन ने उनका नाम उन ५० लोगों की‌ सूचि में रखा है जो इस ग्रह को बचा सकते हैं|


इस पानीवाले बाबा से मिलना हुआ महाराष्ट्र के नान्देड जिले के देगलूर गाँव में| देगलूर में विश्व परिवार नाम के एक संघटन के 'अकाल निवारण परिषद' में जाना हुआ| वहाँ पहली बार इन महामना से मिलना हुआ| उनके भाषण को सुनने का अनुभव अनुठा था| उन्हे सुन कर बहुत विशेष लगा| पहली बात तो वे बड़ी यात्रा कर आए| उनकी ट्रेन छह घण्टा लेट थी| ट्रेन के बाद दो घण्टे का सफर उन्होने किया| लोग काफी समय से प्रतीक्षा कर रहे थे, इसलिए बिना रेस्ट हाऊस गए, वे सीधा कार्यक्रम स्थल पर पहुँचे| और उनका एकदम अनौपचारिक शैलि का भाषण हुआ| भाषण कहना नही चाहिए, मैत्रीपूर्ण बातचीत कहनी चाहिए| उन्हे सुनते हुए लगा कि ऐसा यह कोई अपना जाना पहचाना डाक्टर है जो हमारी बीमारी का ठीक इलाज जानता है|


article-image

article-image

विस्तारसे पढने के लिए क्लिक कीजिए

निरंजन की अन्य किताबें

1

प्रकृति, पर्यावरण और हम: पानीवाले बाबा: राजेंद्रसिंह राणा

23 मई 2016
0
2
0

p { margin-bottom: 0.25cm; direction: ltr; color: rgb(0, 0, 10); line-height: 120%; text-align: left; }p.western { font-family: "Liberation Serif","Times New Roman",serif; font-size: 12pt; }p.cjk { font-family: "Arial Unicode MS",sans-serif; font-size: 12pt; }p.ctl { font-family: "Lohit Marathi"

2

फॉरेस्ट मॅन: जादव पायेंग

27 मई 2016
0
2
0

कई बार हम कहते हैं कि अकेला इन्सान क्या कर सकता है? जो कुछ भी परिवर्तन करना हो, वह 'अकेला' कर ही नही सकता है, यह काम तो सरकार का है; यह हमारी बहुत गहरी धारणा है| लेकिन जिन लोगों को उनकी क्षमता का एहसास होता है, वे अकेले ही बहुत कुछ कर सकते हैं| उनकी पहल शुरू तो अकेले होती है, लेकिन धीरे धीरे बड़ा क़ाफ

3

प्रकृति, पर्यावरण और हम ७: कुछ अनाम पर्यावरण प्रेमी!

31 मई 2016
0
3
0

कुछ अनाम पर्यावरण प्रेमी!एक बार एक सज्जन पहाडों में चढाई कर रहे थे| उनके पास उनका भारी थैला था| थके माँदे बड़ी मुश्किल से एक एक कदम चढ रहे थे| तभी उनके पास से एक छोटी लड़की गुजरी| उसने अपने छोटे भाई को कन्धे पर उठाया था और बड़ी सरलता से आगे बढ़ रही थी| इन सज्जन को बहुत आश्चर्य हुआ| कैसे यह लड़की भाई का ब

4

प्रकृति, पर्यावरण और हम ८: इस्राएल का जल- संवर्धन

6 जून 2016
0
0
0

इस्राएल! एक छोटासा लेकिन बहुत विशिष्ट देश! दुनिया के सबसे खास देशों में से एक! इस्राएल के जल संवर्धन की चर्चा करने के पहले इस्राएल देश को समझना होगा| पूरी दुनिया में फैले यहुदियों का यह देश है| एक जमाने में अमरिका से ले कर युरोप- एशिया तक यहुदी फैले थे और स्थानिय लोग उन्हे अक्सर 'बिना देश का समाज' क

5

दुनिया के प्रमुख देशों में पर्यावरण की स्थिति

13 जून 2016
0
0
0

इस्राएल की बात हमने पीछले लेख में की| इस्राएल जल संवर्धन का रोल मॉडेल हो चुका है| दुनिया में अन्य ऐसे कुछ देश है| जो देश पर्यावरण के सम्बन्ध में दुनिया के मुख्य देश हैं, उनके बारे में बात करते हैं| एनवायरनमेंटल परफार्मंस इंडेक्स ने दुनिया के १८० देशों में पर्यावरण की स्थिति की रैंकिंग की है| देशों म

6

प्रकृति, पर्यावरण और हम: कुछ कड़वे प्रश्न और कुछ कड़वे उत्तर

28 जून 2016
0
0
0

पर्यावरण के सम्बन्ध में चर्चा करते हुए हमने कई पहलू देखे| वन, पानी और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संवर्धन के कई प्रयासों पर संक्षेप में चर्चा भी की| कई व्यक्ति, गाँव तथा संस्थान इस दिशा में अच्छा कार्य कर रहे हैं| लेकिन जब हम इस सारे विषय को इकठ्ठा देखते हैं, तो हमारे सामने कई अप्रिय प्रश्न उपस्थित ह

7

इन्सान ही प्रश्न और इन्सान ही उत्तर

4 जुलाई 2016
0
3
0

उत्तराखण्ड में हो रही‌ तबाही २०१३ के प्रलय की याद दिला रही है| एक तरह से वही विपदा फिर आयी है| देखा जाए तो इसमें अप्रत्याशित कुछ भी नही है| जो हो रहा है, वह बिल्कुल साधारण नही है, लेकिन पीछले छह- सात सालों में निरंतर होता जा रहा है| हर बरसात के सीजन में लैंड स्लाईडस, बादल फटना, नदियों को बाढ और जान-

8

चेतावनी प्रकृति की: २०१३ की उत्तराखण्ड आपदा के अनुभव १

11 जुलाई 2016
0
1
0

शब्दनगरी के सभी मान्यवरों को प्रणाम! २०१३ की उत्तराखण्ड आपदा के अनुभव आज भी प्रासंगिक हैं| उन अनुभवों को आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ| धन्यवाद|

9

चेतावनी प्रकृति की: २०१३ की उत्तराखण्ड आपदा के अनुभव २

14 जुलाई 2016
0
0
0

td p { margin-bottom: 0cm; direction: ltr; color: rgb(0, 0, 0); }td p.western { font-family: "Liberation Serif","Times New Roman",serif; font-size: 12pt; }td p.cjk { font-family: "Arial Unicode MS",sans-serif; font-size: 12pt; }td p.ctl { font-family: "Lohit Marathi"; font-size: 12pt; }h3 { dire

10

चेतावनी प्रकृति की: २०१३ की उत्तराखण्ड आपदा के अनुभव ३

19 जुलाई 2016
0
0
0

h3 { direction: ltr; color: rgb(0, 0, 0); }h3.western { font-family: "Liberation Sans","Arial",sans-serif; }h3.cjk { font-family: "Arial Unicode MS",sans-serif; }h3.ctl { font-family: "Lohit Marathi"; }p { margin-bottom: 0.25cm; direction: ltr; color: rgb(0, 0, 0); line-height: 120%; }p.western

11

चेतावनी प्रकृति की: २०१३ की उत्तराखण्ड आपदा के अनुभव ४

25 सितम्बर 2016
0
1
0

td p { margin-bottom: 0cm; direction: ltr; color: rgb(0, 0, 0); }td p.western { font-family: "Liberation Serif","Times New Roman",serif; font-size: 12pt; }td p.cjk { font-family: "Arial Unicode MS",sans-serif; font-size: 12pt; }td p.ctl { font-family: "Lohit Marathi"; font-size: 12pt; }h3 { dire

12

चेतावनी प्रकृति की: २०१३ की उत्तराखण्ड आपदा के अनुभव ५

28 सितम्बर 2016
0
0
0

td p { margin-bottom: 0cm; direction: ltr; color: rgb(0, 0, 0); }td p.western { font-family: "Liberation Serif","Times New Roman",serif; font-size: 12pt; }td p.cjk { font-family: "Arial Unicode MS",sans-serif; font-size: 12pt; }td p.ctl { font-family: "Lohit Marathi"; font-size: 12pt; }p { margi

13

चेतावनी प्रकृति की:२०१३की उत्तराखण्ड आपदा के अनुभव ६

10 अक्टूबर 2016
0
0
0

td p { margin-bottom: 0cm; direction: ltr; color: rgb(0, 0, 0); }td p.western { font-family: "Liberation Serif","Times New Roman",serif; font-size: 12pt; }td p.cjk { font-family: "Arial Unicode MS",sans-serif; font-size: 12pt; }td p

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए