कई बार हम कहते हैं कि अकेला इन्सान क्या कर सकता है? जो कुछ भी परिवर्तन करना हो, वह 'अकेला' कर ही नही सकता है, यह काम तो सरकार का है; यह हमारी बहुत गहरी धारणा है| लेकिन जिन लोगों को उनकी क्षमता का एहसास होता है, वे अकेले ही बहुत कुछ कर सकते हैं| उनकी पहल शुरू तो अकेले होती है, लेकिन धीरे धीरे बड़ा क़ाफिला जुड़ता जाता है| और एक अकेले इन्सान से शुरू हुआ कार्य विराट हो जाता है और उसमें दूसरे इन्सान ही नही, वरन् पशु- पक्षी भी अपना सहभाग देने चले आते हैं| पीछले लेख में हमने भारत के वॉटरमॅन के बारे में चर्चा की| इस लेख में हम भारत के एक ऐसे इन्सान की चर्चा करेंगे जिसे फॉरेस्ट मॅन कहा जाता है|
फिशिंग जनजातीय समुदाय से आनेवाले
असम राज्य के जादव पायेंग! उन्होने अपने बचपन में पर्यावरण को क्षति
पहुँचते हुए देखी| जीव जन्तुओं की मृत्यु होते देखी| उन्हे चिन्ता हुई और
उन्होने साथियों से पूछ भी कि आगे जा कर क्या होगा? तब उनके साथियों ने
उन्हे कहा कि कुछ नही होगा, सब ठीक होगा| लेकिन जादेवजी सन्तुष्ट नही हुए|
उन्होने स्वयं से पूछा कि मै इसके लिए क्या कर सकता हूँ? और जो राह उन्हे
दिखाई दी, उस राह पर आगे बढते गए- अकेले| कई दिन, महिने और साल आगे बढ़ते
रहे| बाम्बू का एक पौधा लगाने से जो यात्रा शुरू हुई थी, उसी में आगे जा कर
१३६० एकड़ का जंगल बन गया और उस जंगल में बंगाल के शेर और भारतीय गेण्डे
जैसे ठेठ जंगली प्राणी भी रहने आ गए!