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नमस्ते. मै एक यात्री हूँ| आप भी मेरी यात्रा में सम्मीलित हो सकते हैं| आईए- www.niranjan-vichar.blogspot.in

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चेतावनी प्रकृति की:२०१३की उत्तराखण्ड आपदा के अनुभव ६

10 अक्टूबर 2016
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चेतावनी प्रकृति की: २०१३ की उत्तराखण्ड आपदा के अनुभव ५

28 सितम्बर 2016
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चेतावनी प्रकृति की: २०१३ की उत्तराखण्ड आपदा के अनुभव ४

25 सितम्बर 2016
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चेतावनी प्रकृति की: २०१३ की उत्तराखण्ड आपदा के अनुभव ३

19 जुलाई 2016
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चेतावनी प्रकृति की: २०१३ की उत्तराखण्ड आपदा के अनुभव २

14 जुलाई 2016
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चेतावनी प्रकृति की: २०१३ की उत्तराखण्ड आपदा के अनुभव १

11 जुलाई 2016
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शब्दनगरी के सभी मान्यवरों को प्रणाम! २०१३ की उत्तराखण्ड आपदा के अनुभव आज भी प्रासंगिक हैं| उन अनुभवों को आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ| धन्यवाद|

इन्सान ही प्रश्न और इन्सान ही उत्तर

4 जुलाई 2016
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उत्तराखण्ड में हो रही‌ तबाही २०१३ के प्रलय की याद दिला रही है| एक तरह से वही विपदा फिर आयी है| देखा जाए तो इसमें अप्रत्याशित कुछ भी नही है| जो हो रहा है, वह बिल्कुल साधारण नही है, लेकिन पीछले छह- सात सालों में निरंतर होता जा रहा है| हर बरसात के सीजन में लैंड स्लाईडस, बादल फटना, नदियों को बाढ और जान-

प्रकृति, पर्यावरण और हम: कुछ कड़वे प्रश्न और कुछ कड़वे उत्तर

28 जून 2016
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पर्यावरण के सम्बन्ध में चर्चा करते हुए हमने कई पहलू देखे| वन, पानी और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संवर्धन के कई प्रयासों पर संक्षेप में चर्चा भी की| कई व्यक्ति, गाँव तथा संस्थान इस दिशा में अच्छा कार्य कर रहे हैं| लेकिन जब हम इस सारे विषय को इकठ्ठा देखते हैं, तो हमारे सामने कई अप्रिय प्रश्न उपस्थित ह

दुनिया के प्रमुख देशों में पर्यावरण की स्थिति

13 जून 2016
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इस्राएल की बात हमने पीछले लेख में की| इस्राएल जल संवर्धन का रोल मॉडेल हो चुका है| दुनिया में अन्य ऐसे कुछ देश है| जो देश पर्यावरण के सम्बन्ध में दुनिया के मुख्य देश हैं, उनके बारे में बात करते हैं| एनवायरनमेंटल परफार्मंस इंडेक्स ने दुनिया के १८० देशों में पर्यावरण की स्थिति की रैंकिंग की है| देशों म

प्रकृति, पर्यावरण और हम ८: इस्राएल का जल- संवर्धन

6 जून 2016
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इस्राएल! एक छोटासा लेकिन बहुत विशिष्ट देश! दुनिया के सबसे खास देशों में से एक! इस्राएल के जल संवर्धन की चर्चा करने के पहले इस्राएल देश को समझना होगा| पूरी दुनिया में फैले यहुदियों का यह देश है| एक जमाने में अमरिका से ले कर युरोप- एशिया तक यहुदी फैले थे और स्थानिय लोग उन्हे अक्सर 'बिना देश का समाज' क

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