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निवेदिता चतुर्वेदी के बारे में

मैं चेनारी रोहतास बिहार का रहने वाली हूँ। बी०एसी०की छात्रा हूँ मेरी रूचि साहित्यिक रचनाओं को पढने के साथ-साथ लेखन क्षेत्र में भी है,मन में उठे भाव को शब्दों के माध्यम से जोड़कर लोगों के सामने बिखेरना ही मेरा काम है।

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निवेदिता चतुर्वेदी की पुस्तकें

निवेदिता चतुर्वेदी के लेख

अपनी मनमानी

18 अगस्त 2015
3
2

लोग अपने कर्तव्य से क्यो विमुख हो जाते है,भूल जाते है वो अपनी सारा कर्तव्य जो उसे निभानी होती है जैसे ही उसे मिल जाती है उसकी हाथो मे वो सता फिर वो करने लगते है अपनी वही मनमानी किसी भी क्षेत्र मे मिलती है यही देखने को हम. भी वही देखे है जो चलती आ रही सदियो से कब तक चलती रहेगी ए सबकी अपनी मनमानी

वो डायरी

18 अगस्त 2015
6
2

वो डायरी...आज खोज रही मै उस पुरानी डायरी को जिस डायरी मे संजोयी थीअपनी पुरानी यादेंमन व्याकुल पढने को थी उन सारी बातो को जिसे सुनहरे अछरो मे मै लिख दी थी.ओह आज मिल गया मेरी पुरानी डायरी जिसे वर्षो से ढुढ रही छान मारी सारी अलमारी वाह क्या खुब लिखा हुआ है इस डायरी मे अब कहॉ वो जमाना कहॉ प्यार. कहॉ

छाए बादल

18 अगस्त 2015
2
1

आसमान मे छाए बादल देख , बचपन. की याद आती है ,कैसे झुम उठते थे सब ,जब वर्षा होने लगती थी , संगी साथी मिल सब ,नहाने मे लग. जाते थे ,आपस मे मिलजुल कर ,खुब. मतवाले रहते थे ,नही किसी का परवाह रहता,नही किसी का डर ,सब मिलजुल कर ही ,खुब. मस्ती करते थे ,बचपन का जमाना , होता ही बहुत प्यारा है, ......निवेदिता

माँ

18 अगस्त 2015
2
2

तेरी कमी खलती रहती है , ऐसे तुम साथ तो नही ,पर मन से दुर भी नही ,तेरी ममतामयी ऑचल हमेशा , मेरे सरो के उपर सदा ही रहता है , तेरे ही आर्शीवाद से आगे बढ रही हूँ, तुम तन्हा हो मेरे विन, पर मेरी तन्हाई को भी समझती हो मेरी हर कामयाबी मे तुम साथ हो तेरी ही मुखडा हर तरफ नजर आती है मै खामोश हूँ क्योकि विवशत

वो डायरी

14 अगस्त 2015
1
0

वो डायरी...आज खोज रही मै उस पुरानी डायरी को जिस डायरी मे संजोयी थीअपनी पुरानी यादेंमन व्याकुल पढने को थी उन सारी बातो को जिसे सुनहरे अछरो मे मै लिख दी थी.ओह आज मिल गया मेरी पुरानी डायरी जिसे वर्षो से ढुढ रही छान मारी सारी अलमारी वाह क्या खुब लिखा हुआ है इस डायरी मे अब कहॉ वो जमाना कहॉ प्यार. कहॉ

मनमानी

14 अगस्त 2015
2
0

लोग अपने कर्तव्य से क्यो विमुख हो जाते है,भूल जाते है वो अपनी सारा कर्तव्य जो उसे निभानी होती है जैसे ही उसे मिल जाती है उसकी हाथो मे वो सता फिर वो करने लगते है अपनी वही मनमानी किसी भी क्षेत्र मे मिलती है यही देखने को हम. भी वही देखे है जो चलती आ रही सदियो से कब तक चलती रहेगी ए सबकी अपनी मनमानी

बाट

11 अगस्त 2015
3
3

नीर भरा इन आँखो से,खोजती रहती तेरी बाट,जब - जब आती तेरी याद,खटकता रहता जीवन बेकार,अमावस्या की रात जैसी ,काली घटा घनघोर जैसी ,हो गई. है जिंदगी हमारी ,कुछ . पल के लिए भी ,तु आ. जाती मेरे पास ,अपनी कमी पूरा कर ,जीवन मे भर देती खुशीया हजार! ......निवेदिता चतुर्वेदी ......

सावन

11 अगस्त 2015
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सावन मौसम है सुहाना ,खेत खलिहान मे झुमे धाना , चारो तरफ हरियाली देख ,मन प्रफुल्लीत होता अपना , इस मौसम मे आते है याद ,सब अपने नए पुराने ,सावन मे झुलो के साथ ,करते रहते मस्ती हजार , संगी - साथी सबके सब ,अपने मस्ती मे रंगा रंग , पेड की झुकी डाली से ,खिले फूल की कलियो से , प्रकृती को सुसज्जीत करती , ये

बिछड़ गये (कविता)

7 अगस्त 2015
6
1

कल तक तो हम साथ-साथ थे ,आज बिछड गए घर परिवार से,कल तक तो हम स्वतंत्र. थे, आज बंध गए दुसरो के बंधन मे,अकेली विरान सी बैठी यहॉ , यादो मे खोइ- खोइ सी ,कोइ नही साथ यहॉ नही कोइ संगी,घन वन मे बैठी जैसे ,चितवन चंद चकोरी ,अब तो बस एक याद ही ,बार -बार मन मे आती , चारो तरफ अंधियारी छाई ,नही कही उजाला दिखती !न

बाल कविता

7 अगस्त 2015
3
2

बच्चे होते भोले भाले ,अपनो मे रहते मतवाले ,कभी खुशी मे झुम उठ उठते,कभी गुस्सा मे फुट पडते ,न ही किसी का डर उन्हे ,न ही किसी का रहता भय ,जो भी मन मे आए उन्हे ,करते हैै शीघ्र. पुरा उसे ,खेल -कूँद मे रहते आगे ,पढाई मे भी पिछे न हटते , सबसे वो बाजी लगाते ,पूरा करने मे आगे रहते ,बडो को भी सीख सीखाते ,तोत

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