बाल कविता
बच्चे होते भोले भाले ,अपनो मे रहते मतवाले ,कभी खुशी मे झुम उठ उठते,कभी गुस्सा मे फुट पडते ,न ही किसी का डर उन्हे ,न ही किसी का रहता भय ,जो भी मन मे आए उन्हे ,करते हैै शीघ्र. पुरा उसे ,खेल -कूँद मे रहते आगे ,पढाई मे भी पिछे न हटते , सबसे वो बाजी लगाते ,पूरा करने मे आगे रहते ,बडो को भी सीख सीखाते ,तोत