वो डायरी...
आज खोज रही मै
उस पुरानी डायरी को
जिस डायरी मे संजोयी थी
अपनी पुरानी यादें
मन व्याकुल पढने को थी
उन सारी बातो को
जिसे सुनहरे अछरो मे
मै लिख दी थी.
ओह आज मिल गया
मेरी पुरानी डायरी
जिसे वर्षो से ढुढ रही
छान मारी सारी अलमारी
वाह क्या खुब लिखा हुआ
है इस डायरी मे
अब कहॉ वो जमाना
कहॉ प्यार. कहॉ मोहब्बत
रहा इस जहॉ मे
जो पहले रहा करता था।
...निवेदिता चतुर्वेदी...
मैं चेनारी रोहतास बिहार का रहने वाली हूँ। बी०एसी०की छात्रा हूँ मेरी रूचि साहित्यिक रचनाओं को पढने के साथ-साथ लेखन क्षेत्र में भी है,मन में उठे भाव को शब्दों के माध्यम से जोड़कर लोगों के सामने बिखेरना ही मेरा काम है।D