
25 सितम्बर 2021
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मैं मोनिका गर्ग, फरीदाबाद, हरियाणा मेरा निवास स्थान है। लिखने का शौक बचपन से ही था। बहुत छोटी उम्र से ही लेखनी के सिपाही बनने की कोशिश की। हम उम्र बच्चे जहां गुड्डा गुडिया का खेल खेलते थे, मिट्टी के घरोंदें बनाते थे हम कलम के माध्यम से कागज पर उन घरोंदों के सुख दुःख उकेरते थे।महज बारह साल की उम्र में अपनी पहली कहानी "भिखमंगे" लिखी। फिर माँ सरस्वती के चरणों की उपासना करते करते कलम के सिपाही बनती चली गयी। आज हमारी बहुत सी कहानियाँ बहुत से मंचों पर सराही जाती हैं। एक मंच के लिए सहलेखन भी किया। Shabd.in, लेखिनी, प्रतिलिपि, स्टोरी मिरर, रश्मिरथी, शीरोज जैसे बहुत से मंच है जहाँ हमारा लेखन सतत् जारी है। हम ज्यादातर शार्ट स्टोरीज ही लिखते है।बाकि अभी तक चार उपन्यास भी लिखे चुके हैं। हमारी Shabd.in मंच के माध्यम से तीन किताबें पेपरबैक में प्रकाशित हो चुकी है। "मन की बातें", "रोचक व शिक्षाप्रद कहानियां" और "आखिर खता क्या थी मेरी" बहुत सी किताबें ई-बुक के रूप में भी Shabd.in पर उपलब्ध है। अब और क्या कहें बस इतना ही अपने विषय में कहेंगे। हमसे रचना तब होती है जब "भावनात्मक विचारों का ऐसा तूफान आता है कि जब तक उसे कागज पर ना उतार दें आत्मा को चैन नहीं मिलता।"D
रुला दिया आपने. अमृता प्रीतम की पिंजर पढ़ा है हमने उसमे भी एक दृश्य ठीक इसी प्रकार है, जब गाँव की एक पगली को कोई अपनी हवस का शिकार बनाता है. अत्यंत मार्मिक कथा. संवाद लिखते समय पैरा जरूर बदल दें, जिससे कहानी पढ़ने में रोचकता आएगी
18 दिसम्बर 2021
जी आशुतोष जी इस बात का ध्यान रखेंगे।बाकि ये सब आप सब ज्ञानीजनों को पढकर ही सीख रहे है लिखना
कमाल की औरत है, उस बच्ची को देखती रही। केवल ये कह कर कि मैं कर भी क्या सकती हूँ? करना विचारती तो उस बच्चे को अपना सकती थी। उस पगली का ध्यान रख सकती थी। उसकी जगह हमारी माँ होती तो दुनियां से लड जाती पर ये अन्याय ना होने देती। राधे राधे 🙏🏻🌷🙏🏻
10 दिसम्बर 2021
हर किसी मे आप की माता जी जैसा साहस हो ये ज़रूरी नही है।हर किसी के घर मे बंदिशें होती है।हमारी ये कहानी सच्ची घटना पर आधारित है हम को भी जहां से ये पता चला था तो हमारा भी यही सवाल था उनसे।
बहुत ही भावात्मक रचना समाज मे आज भी कहीं न कहीं ऐसी राधा हैं जिनको राधा बनने से रोकना कहीं न कहीं हम सबकी जिम्मेदारी है
25 सितम्बर 2021