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ओ पगली भाग 2

19 सितम्बर 2021

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अभी तक आपने पढा था कि राधा नाम की लडकी जो मानसिक रूप से बीमार थी वो मेरे नये घर के पास ही रहती थी ।मेरा उससे पहला परिचय था जब गली की औरतें उसे छेड़ रही थी।पति ने छोड़ दिया था फिर भी वो टिकुली मांग लगाती थी।अब आगे।।
राधा को जब भी देखती थी मन बैचैन हो जाता था।मै उस माहौल मे नयी थी आस-पास मे किसी के विषय मे नही जानती थी।बस उस दिन राधा की हालत देखकर मन मे उसके विषय मे जानने की उत्सुकता हुई।इस दौरान मेरी पड़ोस मे एक सहेली भी बन गयी।एक दिन मैने उससे पूछ ही लिया राधा के विषय मे।वो बोली तुम्हे नही पता आजकल पता नही किसी का बच्चा पेट मे लिए घूम रही है।मै एक दम से चिहुकी । "क्या बोल रही हो।उसके पति ने तो उस को छोड...."मेरे मुंह के शब्द मुंह मे रह गये।"हां  हा छोड तो दिया था पर ये जो लाॅकडाऊन लगा था तब भी मुई रात को घर से निकल जाती थी ना जाने किसने खराब कर दिया बेचारी को।"मै मन ही मन सोच रही थी कि उस बच्चे का क्या भविष्य जो उसके पेट मे पल रहा है।
मैंने  उसे लाॅकडाऊन के बाद देखा तो बहुत बदली बदली लगी वो।पहले माना कपड़े गंदे पहनती थी पर बाल काढ कर मांग बिन्दी लगाकर चप्पल वगैरह पहन कर रहती थी।पर अब तो मै उसे देखती थी बाल उलझे हुए है।कपडे बहुत गंदे और आखों मे सूनापन। मेरे घर के सामने एक दुकान है वहाँ लोग बीड़ी पीते है उन बीड़ी के टुकडो को उठाती रहती है।बहुत ही हालत खराब हो गयी है उसकी ।मेरी कहानी की पात्रा है निःसंदेह मुझे उससे सहानुभूति हो रही थी।एक दिन मैने उसे प्यार से अपने पास बुलाया और पूछा ,"राधा!ऐसे क्यो रहने लगी हो?"वो तुतलाकर बोली,"अंटी मै सिन्दूर नही टिकुली नही लगायी।"मैंने पूछा ,"क्यो नही लगाती ?"वो बोली ,"मेरा घरवाला दूसरी सादी कर लिया अब मै नही लगाती।"मै उसकी आँखों मे देख रही थी एक सूनापन था उसकी आँखों मे।हर किसी से कहती थी मेरा घरवाला दूसरी सादी कर लिया ।शायद उसे सदमा लगा था चाहे उसमे दिमाग कम था पर पति का प्यार को जानती थी शायद।मेरा दिल कर रहा था मै उसके विषय मे ज्यादा से ज्यादा जानू।एक बार मेरी पड़ोसन फिर मेरे पास बैठी तो पता चला मां उसकी जब तक जिन्दा थी तब तक तो ये सही रहती थी मां साफ सुथरा रखती थी और जहाँ भी जाती थी उसे अपने साथ रखती थी।बचपन मे स्कूल मे छत से गिर गयी थी ये सिर पर बहुत चोट आयी तभी से इसका दिमागी संतुलन बिगड़ गया ।बाप ने बेचारे ने अपनी जयजाद अपने बेटे को ना देकर बेटी के नाम कर दी ताकि लालच मे कोई इससे शादी कर लेगा पर पति भी छोडकर भाग गया। 
एक दिन मैने उसे बुलाकर पूछा,"राधा ! तुम्हारे पेट मे क्या है।बोली ,"बाबू "।मैने पूछा ,"किसका है?"वो पागल हंसती हुई हाथ हिलाकर बोली ,"पता नही।"और सामने की दुकान के आगे पडे बीड़ी के जले हुए टुकड़े उठाने लगी।
मेरा मन चीत्कार कर उठा कि उसके बाप ने ना जाने कितने ताले लगाये उसकी असमत को बचाने के लिए उसके पति ने छोड दिया था फिर भी उसे सिन्दूर  बिन्दी लगाने के लिए बोलता था ।पर बाप हार गया एक मां की परवरिश के आगे।
मै बीड़ी के अधजले टुकड़े उठा कर ना जाने किसका बोझ पेट मे ले जाती हुई राधा को देखती रही...........

Radha Shree Sharma

Radha Shree Sharma

पूर्ण विराम के बाद स्पेस दीजिये। और सम्वाद को अलग पैरा। जिससे पढ़ने और देखने दोनों में कहानी का सौंदर्य बढ़ जाता है। जब तक भाव नहीं आता विषय के अच्छा होने के बाद भी रोचकता नहीं आती। कहानी निस्संदेह अच्छी है। पर लेखन में सौंदर्य की कमी है। राधे राधे 🙏🏻🌷🙏🏻

10 दिसम्बर 2021

Monika Garg

Monika Garg

11 दिसम्बर 2021

जरूर। धन्यवाद। यही बात आप मे अच्छी है।

Priyanka

Priyanka

समाज ऐसी पगली पर अपनी होशियारी बहुत सफ़ाई से मढ़ देता है 😥😥

12 नवम्बर 2021

Monika Garg

Monika Garg

12 नवम्बर 2021

जी सही कहा आपने। धन्यवाद

Richarudra Sahu

Richarudra Sahu

बहुत मार्मिक चित्रण 🙏🙏 बेहतरीन प्रस्तुति 👍

9 नवम्बर 2021

Monika Garg

Monika Garg

9 नवम्बर 2021

धन्यवाद

Shailesh singh

Shailesh singh

बहुत ही संजीदगी से लिखा गया भावुक वर्णन

19 सितम्बर 2021

Monika Garg

Monika Garg

19 सितम्बर 2021

धन्यवाद

Monika Garg

Monika Garg

धन्यवाद

19 सितम्बर 2021

Dhanu Dayal

Dhanu Dayal

मार्मिक चित्रण

19 सितम्बर 2021

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रचनाएँ
ओ पगली
4.8
रोचक व हृदय स्पर्शी कहानी एक मानसिक विक्षप्त लड़की की

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