वक्त कितनी तेज पंख लगा कर उड़ता है कोई कैसे समझ सकता है एक वक्त था जब गांव के कुओं पर महिलाओं का जमघट लगा था और ढेर सारे गीत सुनने को मिलते थे साथ ही आपसी लगाव भी बढ़ता था, अगर किन्ही दो लोगो में नाराजगी हो भी जाती तो बाकी लोग उन्हें मिला देते,इसी तरह पुरुषो के भी गुट गांव के पेड़ो की छाव के नीचे मंदिरों में देखने को मिल जाते तो पगडंडियों पे खेलते बच्चे,और सबसे अनोखी बात पूरा परिवार साथ में भोजन करता एक परिवार में ही सारी खुशियां होती, बाबा दादी, चाचा चाची भैया भाभी आदि।फिर समय बदला और लोग रोजगार के तलाश में बाहर जाने लगे, अपनी ही मातृभूमि पर वासी से प्रवासी हो गए,और धीरे धीरे संयुक्त परिवार धीमे धीमे एकाकी परिवार में तब्दील हो गए।
अब आधुनिकता आ गई शिक्षा,तकनीकी आदि का विकास हुआ और आ गई ऑनलाइन स्टडी, और मोबाइल फोन, जिसमे आ गई ऑनलाइन गेमिंग, जहां बच्चा अकेला हो उसके साथ खेलने वाले कोई नही तो बच्चे को दुनिया से जोड़ने का एक अच्छा विकल्प हो सकता है ऑनलाइन गेमिंग लेकिन फिर भी गेम तो पहले भी होते थे लेकिन वो हमे चुस्त दुरुस्त रखते थें दौड़ने भागने से हमारे शरीर में फुर्ती आती और हम सब मजबूत होते,लेकिन आज इन सब की जगह ले ली ऑनलाइन गेमिंग ने,दौड़ना भागना तो इसमें भी है,लेकिन इसमें बच्चा नही बल्कि गेम का कैरेक्टर दौड़ता भागता है,गेम से बच्चे को आनंद तो मिलता है,लेकिन अच्छा स्वास्थ्य नहीं,साथ ही मोबाइल से निकलने वाली किरणों से आंखो को नुकसान और मानसिक विकृति जैसी अवस्था भी देखने को मिल रही।
ये तो बात हो गई उस ऑनलाइन गेमिंग की जिसे हम सब प्रत्यक्ष रूप में देख रहे,अब मैं आपका ध्यान एक अन्य प्रकार की ऑनलाइन गेमिंग पर लाना चाहूंगी, वो ऑनलाइन गेमिंग देखी जाती है सोशल मीडिया पर फेक अकाउंट के रूप में,इस गेम में लोगो के भावनाओ के साथ खेला जाता है,जो खेल रहा उसे तो मानसिक सुख मिल जाता है,लेकिन जिससे खेला जा रहा होता है,वो मानसिक रोगी बन जाता है। इसके अतिरिक्त मैं ऑनलाइन फ्रॉड को भी एक तरह की गेमिंग ही तो है,जिसमे आपको बेवकूफ बनाकर आपके विश्वास के साथ खेला जाता है,साथ ही आपको लूटा भी जाता है।
ऑनलाइन गेमिंग जो भी हो,उनसे क्षणिक सुख मिलता है और फिर व्यक्ति में अकेलापन अलगाव जैसी स्तिथियां उत्पन्न हो जाती है,पहले कोशो दूर रहने पर भी हम एक दूसरे से मजबूती से जुड़े थे,लेकिन आज एक ही घर में रहकर भी अलग हैं क्योंकि हमारी जिंदगी में मोबाइल और सोशल मीडिया,ऑनलाइन गेमिंग आदि ने अपनी पैठ कर ली है, और दुष्प्रभावों से बचने के लिए आधुनिक के साथ साथ,हमे आत्म अनुशासित और प्रकृति और संस्कृति से जुड़ाव भी रखना होगा,जिससे हम अपने बच्चो को एक साथ रहने का महत्व बता सके,और उन्हें मानसिक विकृति से भी बचा सके।
स्वरचित निधि विश्वकर्मा