किसी से सच ही कहा है की जितना बड़ा चादर हो आप उतना ही पाओ पासारिये, श्याम नाम का एक मध्यम वर्ग का आदमी था वो अपने माँ बाप भाई बहन के साथ बहुत ही खुश था, धीरे धीरे उसकी पढाई खतम होती गई, और उसने अच्छी नौकरी पाने के लिए पूरी तरह से लग गया और उसकी सफलता भी कामयाब हुई और अच्छी सरकारी नौकरी भी लग गई, और कुछ ही महिनो बाद उसकी शादी हो जाती है कुछ महीने तक तो सही चल रहा था परंतु जैसे जैसे समय बढ़ता गया उनकी जरूरते भी पैसे की हिसाब से बढ़ने लगी, नये नये टेक्नोलॉजि, नये नये शौक, नये जगह में घूमना इनके लिए आम बात हो चुकी थी, परंतु इन्हे ये नही पता था की ये बेहिसाब जरूरते इनको कहा तक ला पहुॅचायेगी, सरकारी पैमेंट् के हिसाब से ज्यादा उनके खर्च थे,धीरे धीरे कर्ज में डूबते चले गए तभी श्याम को पहले की बात याद आ गयी की जैसे उसके माँ बाप सीमित जरूरत के साथ बहुत खुश थे वैसा ही जिंदगी हमे आज भी जीने चाहिए थे, परंतु ऐसा हुआ नही, इसलिए कहते है आप अपने हैसियत के हिसाब से जिंदगी जिये, उसी में खुश रहे और परिवार को खुश रक्खे।