उठो चलो चले चॉद के ऊपर,संसय पीछे छोड चलें
राह के सूल रोंध बढ़ आगे, सूर्य से रिश्ता जोड़ चलें
कर कर्तव्य कठिन कार्य,हम उसको सरल बना लेगे
अपने भुजदंडो के बलबर,रस्ता स्वमं बना देगे
नही रूके है नही रूकेगे,चलो चले अब चले चलें
राह के सूल रोंध बढ़ आगे...............
मंजिल मिलेगी निश्चित एकदिन,नही कोई संसय इसमे
हमने हरदम काम किया वो, हार गए हो कई जिसमे
जीते थे और जीतेगे हम ,हरदम आगे बढ़े चले
राह के सूल रोंध बढ़ आगे...............
बड़ी बड़ी कठनाई से भी ,वीर नहीं पीछे हटते
जहा टिके ना कोई पल भर,वही वीर सालो टिकते
उठो उठालो अस्त्र शस्त्र अब, कठनाई से लड़े चले
राह के सूल रोंध बढ़ आगे...............
✍️राजा आदर्श गर्ग✍️