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सोच का परिणाम

23 जनवरी 2023

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मैं किसी कहानी का,किरदार नही हो सकता हूं।
मेरी जीत सुनिश्चित है, मैं हार नहीं हो सकता हूं।

मैं खुद ही अपनी फिल्मों का, हीरो और खलनायक हूं।
मैं ही खुद का राह प्रदर्शक,ओ मैं ही पथ परिचायक हूं।

मैं ही हूं वो सिंघ गर्जना,और मैं ही वो गीत लुभाना हूं।
मैं ही हूं वो उजड़ा बीहड़,और मैं ही  उद्यान सुहाना हूं।

जैसा मैंने सोचा खुद को, बस वैसा ही बन पाया में।
कभी लक्ष्य भेदकर लौटा,कभी उदास घर आया में।

कर कर के हर काम को देखा, तब  एक बात मैं सीख गया।
मन के हारन से हार मिली और,मन के जीतन से जीत गया।

सुबह भूल घर शाम को आए, वो भटका नहीं कहलाता है।
जिसने छेड़े हो युद्ध कर्म के,बस वो ही हसिल कर पाता है।

बैठा है जो भाग्य सहारे,बैठा ही रह जाएगा।
हासिल करने वाला ही कर्मवीर कहलाएगा।

✍️राजा आदर्श गर्ग✍️


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रचनाएँ
कर्मवीर
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कठनाई रास्ते का कांटा नहीं,अपितु अवसर होता है,कुछ कर दिखाने का
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कर्मवीर का कारवां

23 जनवरी 2023
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हम भाग्य के भरोसे नहीं,मेहनत के दम पर बढ़ते है।हम भाग्य के भरोसे नहीं,मेहनत के दम पर बढ़ते है। हम लिफ्ट के आदी कहां,हर रोज  सीढियां चढ़ते है। बंद कमरों में हमने हरदम,मेहनत के बीज बोए है। यार हम

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सोच का परिणाम

23 जनवरी 2023
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मैं किसी कहानी का,किरदार नही हो सकता हूं। मेरी जीत सुनिश्चित है, मैं हार नहीं हो सकता हूं। मैं खुद ही अपनी फिल्मों का, हीरो और खलनायक हूं। मैं ही खुद का राह प्रदर्शक,ओ मैं ही पथ परिचायक हूं।

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किधर बढ़ रहा हूं

23 जनवरी 2023
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जाना कहा था,और किधर बढ़ रहा हूं। लिखनी थी दूसरो, की किस्मत पर खुद की लकीरें पढ़ रहा हूं। गुस्सा आ रहा है सब पर पर खुद से लड़ रहा हूं। हकीकत में कुछ नहीं अभी बस कुछ सपने मढ़ रहा हूं। और आगे ब

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पथ

23 जनवरी 2023
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उठो चलो चले चॉद के ऊपर,संसय पीछे छोड चलें राह के सूल रोंध बढ़ आगे, सूर्य से रिश्ता जोड़ चलें कर कर्तव्य कठिन कार्य,हम उसको सरल बना लेगे अपने भुजदंडो के बलबर,रस्ता स्वमं  बना देगे नही रूके है न

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पथ

23 जनवरी 2023
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उठो चलो चले चॉद के ऊपर,संसय पीछे छोड चलें राह के सूल रोंध बढ़ आगे, सूर्य से रिश्ता जोड़ चलें कर कर्तव्य कठिन कार्य,हम उसको सरल बना लेगे अपने भुजदंडो के बलबर,रस्ता स्वमं  बना देगे नही रूके है न

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स्वंम का निर्माण

23 जनवरी 2023
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छोड़कर कर कर्म का,बैठा है भाग्य भोगने। अपनी ही गलतियों को,किस्मत पर थोपने। पढ़ाई गरीबी से नि कर सका, ये बहाना  अच्छा  है। रोज रोज गढ़ कर कहानी,क्या? सुनना  अच्छा है। छोड़दी पुस्तके पैसे की खा

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बड़बोले

23 जनवरी 2023
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बोल कम और कर अधिक। राह चल और बन पथिक। पथ पर चलना आगे बढ़ना बढ़ते रहना तब तलक राह के कांटे हट ना जाये ना पा लो मंजिल तब तलक लोग हसेंगे कहेंगे पागल फिकर नही करना तुमको बस चलते रहना बढ़ते रहना

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