मैं किसी कहानी का,किरदार नही हो सकता हूं।
मेरी जीत सुनिश्चित है, मैं हार नहीं हो सकता हूं।
मैं खुद ही अपनी फिल्मों का, हीरो और खलनायक हूं।
मैं ही खुद का राह प्रदर्शक,ओ मैं ही पथ परिचायक हूं।
मैं ही हूं वो सिंघ गर्जना,और मैं ही वो गीत लुभाना हूं।
मैं ही हूं वो उजड़ा बीहड़,और मैं ही उद्यान सुहाना हूं।
जैसा मैंने सोचा खुद को, बस वैसा ही बन पाया में।
कभी लक्ष्य भेदकर लौटा,कभी उदास घर आया में।
कर कर के हर काम को देखा, तब एक बात मैं सीख गया।
मन के हारन से हार मिली और,मन के जीतन से जीत गया।
सुबह भूल घर शाम को आए, वो भटका नहीं कहलाता है।
जिसने छेड़े हो युद्ध कर्म के,बस वो ही हसिल कर पाता है।
बैठा है जो भाग्य सहारे,बैठा ही रह जाएगा।
हासिल करने वाला ही कर्मवीर कहलाएगा।
✍️राजा आदर्श गर्ग✍️