पेड़ों को मत काटो इंसान
इसने ही वायु बनाया
इसने ही जल बर्षाया
इसपे टिकी है सबकी जान
पेड़ों को मत काटो इंसान
ये धरती थी आग का गोला
जो थी एक धधकती शोला
अंबर ने इसे ठंडा किया
और पेड़ों को मिली प्राण
पेड़ों को मत काटो इंसान
पंथी को ये देती छाया
पंछी को ये देती साया
वृक्ष है अन्नदाता हमारे
सब करो इसकी गुणगान
पेड़ों को मत काटो इंसान
ये नदियाँ हुई दूषित
जल विष बन हुई कलुषित
हवाएँ न जाने कब लेंगी जान
पेड़ों को मत काटो इंसान
न थी मलेरिया, न थी हैजा
न थी भुखमरी,न थी अकाल
वृक्षारोहन से आई ये रोग महान
जिना दूभर,घुट-घुट जा रही जान
पेड़ों को मत काटो इंसान
सावन में बरसना बंद हुआ
किसान सारा तंग हुआ
भुखमरी का जंग हुआ
वृक्ष लगाकर दो जीवनदान
पेड़ों को मत काटो इंसान
सर्दी भी अब आग उगले
गर्मी में तो शोले भड़के
पशु-पक्षी सब जल रहे
मानव घर में करते आराम
कुछ उसका दुःख समझो इंसान
पेड़ों को मत काटो इंसान
इसे उजड़ोगे तो ये जग उजड़ेगा
इसे संभालोगे तो ये जग संभलेगा
वृक्षों से होगी जग का नया विहान
पेड़ों को मत काटो इंसान
आओ कसम खायें
सब मिलकर वृक्ष लगाएं
सोये दुनियां को जगाएं
होगा इस जग का कल्याण
पेड़ों को मत काटो इंसान
हमने कसम खा लिया
वृक्षों को बचाना है
दुनियां को जगाना है
पेड़ों को समझेंगे अपनी जान
पेड़ों को मत काटो इंसान