एक दिन की बात है
अमावश की रात थी
चांद न था आसमान में
तारे थे परेशान में
एलान किया तारे ने
मिटिंग बनाई सारे ने
सबको था दु:ख तो
झट से चुने मुखिया शुक्र को
चर्चा उठाई मंगल नें
चंद्रमा होगी जंगल में
आधी रात हो चुकी थी
सारी दुनियां सो चुकी थी
शुक्र ने दिया आदेश मंगल को
वे तुरत जाए जंगल को
था बहुत अंधेरा
मंगल को पड़ा फेरा
टॉर्च लिया हाथ में
शनि को लिया साथ में
और चल दिए जंगल को
पहुंचने वाले थे जंगल को
तब तक सवेरा हो चुका था
और सब तारे सो चुके थे