तू किस राह में भटकने की आस रखते हो
तुझको पता है तू देशप्रेम में विश्वास रखते हो
प्यार मोहब्बत का पवित्र रिश्ता क्या रह पाया है?
जिसने प्रेम किया,हवश की आग से क्या बच पाया है?
हवश की आग जब मन में उठ जाती है
पवित्र प्रेम का दम मन में घुट जाती है
जिस मन के रस्ते तू चला जा रहा है
उसी मन से पूछो तू छला जा रहा है
दूर करो मन से इन व्यर्थ की भावनाओं को
रम जाओ प्राप्त करो,महत्वपूर्ण कामनाओं को
तुम हो सपूत इस धरा के
मांग रही माता कुर्बानी है
दुःख आन पड़ी ही इस माता पर
तुमको देना बलिदानी है