आमिर तेरी औकात क्या है
इस जमीं पे तेरी सौगात क्या है
हमने अपनी जेबखर्च से तुझको सींचा है
तू जहाँ खिल के गुलाब हुवा ओ मेरा बगीचा है
हमनें दुर्लभ पुष्प मंगायी, कोने कोने से बनाने को हार
तू भी था एक पुष्प अब हो गया बेकार
जिना था जितना, तू जी लिया
अब तेरी जिंदगी ऊब रही है
खुद नाव छोड़कर पतवार लिया
अब तेरी नैया डूब रही है
तुमसे इस माँ को कितनी उम्मीदें थी
प्यार से तेरे गालों पर चुम्मी दी थी
उस माँ का आज भरोसे को तोड़कर
तू चल दिया इस देश को छोड़कर
किस कारण तूने माँ का दिल छल दिया
माँ पूछती बेटे बता मुझे छोड़ क्यों चल दिया
तू मेरे कलेजे पर चलकर जायेगा मैं उफ़ तक न करुँगी
माँ बेटे का सुख न पायी है
आज दिल से माँ कह रही
तू भी हरजाई है
आज तुमको बतादूँ राज अपना
हुमलोगों का ये जतन रहता
आने वाले कल का तू भी भारत रतन रहता
कल लोग कहेंगे तुमको
अपना रोना रो चुके हो
किस ख्याति की बात करते हो
तुम पहले सबकुछ खो चुके हो
हम भारत के लोग हैं ,जन-जन तक पहुंचाना है यह सन्देश।
लो शुरू करो आप पहले यह रेस।