मीरा रोड का आनंद गार्डन । रोज़ की तरह आज भी यहाँ मोर्निंग वाकर , योग और व्यायाम करने वाले जगह जगह मौजूद थे । मैं भी उनमे एक होता । इन सभी गतिविधियों से दूर गार्डन के एक कोने में क़रीब रोज़ ही एक लड़के और महिला की जोड़ी मानसिक और शारीरिक एनर्जी पाने में मशगूल थे । उन्हें वहां मौजूद लोगों से कोई आपत्ति नहीं थी । ये बात सच की वहां मौजूद कुछ औरतें इसे ज़माने की बेहयाई और नौजवान लोग बस मुस्कुरा देते उन्हें कोई खस फ़र्क़ नहीं पड़ता । मैंने इस जोड़े को महिला इस लिए कहा क्योंकि उसके बारे में मैं जानता था कि वह शादीशुदा और एक पांच साल के बच्चे की मां है । सभी लोग नोटिस करते थे उसका हस्बैंड सवेरे बच्चे के साथ उसे छोड़ने आता । वह अत्त्यन्त आकर्षक, गौर वर्णीय और ऊँचे क़द काठी का नौजवान था । जाते वक़्त उसकी आँखों में अथाह प्रेम और बेचैनी दिखाई पड़ती । वह शायद बच्चे को स्कूल छोड़ने के बाद ऑफिस चला जाता , क्योंकि उसके जाने के बाद वह गार्डन का दो चक्कर लगाती , जब आश्वस्त हो जाती को किसी को फ़ोन लगाती और दस मिनट के अंदर एक दक्षिण भारतीय लड़का आ जाता और उत्तर दक्षिण का मिलन शुरू हो जाता । उसका हावभाव और पहनावा पूरी तरह रजनीकांत स्टाइल का होता । लाल शूज, काली जींस और गहरा लाल या काले कलर की टीशर्ट उसका ट्रेड मार्क था और साथ में छोटी दाढ़ी भी थी । उसमें कोई ऐसा खास आकर्षण नहीं था जो उसके पति से बेहतर लगे । लेकिन औरत की बेचैनी और बेताबी के सामने सब निशब्द थे । वह औरत अत्यंत सुंदरी कहा जा सकता है । उसके सुनहरे रंग के लम्बे बॉल, नीली ऑंखें, बेलौस खिलखिलाहट , जीन्स या चूड़ीदार के साथ अक्सर सफ़ेद या पीले रंग की शर्ट पहनती थी, उसकी कलाई रंगबिरंगी चूड़ियों से सजी रहतीं. हीरे की अंगूठी और नाक में एक छोटी सी रिंग सुंदरता में चार चाँद लगाती । लड़के के श्याम रंग के विपरीत वह धवल रंग और लावण्यमयी थी । जब भी मैं गार्डन का चक्कर लगाते हुए उनके पास से गुज़रता तो उन्हें कभी हाथो हाथ डाले, कभी चिपके हुए, कभी चुम्बकीय चुम्बन में जकड़े या कभी एक दूसरे के पैर पर पैर रखे मिलते । कुछ ही दिनों में मालूम हो गया कि वह मेरे टावर के पास ही गौरव टावर में आठवीं मंज़िल पर रहती है जिसका नाम मनप्रीत खन्ना है । उसका पति मनोज खन्ना एयर इंडिया में ऑपरेशन मैनेजर है जो पटियाला के रहने वाले हैं । उनके पास खुद का अपार्टमेंट, कार और दो स्कूटर है । आकर्षक पति, सुन्दर बेटा और सम्पन्नता के बावजूद उस लड़के के साथ उसकी अंतरंगता लोगों के गले नहीं उतर रही थी । पति पत्नी के अगाध प्रेम और कुशल गृहिणी की वजह से दोनों टावर के बेस्ट कपल बुलाये जाते थे। बहुत ही मिलनसार, मददगार और उनकी मेहमाननवाज़ी बेमिसाल थी ।उसकी ज़िन्दगी का दोहरा मापदंड मेरी समझ के परे था , हालाँकि आज तक मेरा उससे या उसके पति से कभी वार्तालाप नहीं हुआ था ।
क़रीब आठ महीने बाद मैंने महसूस किया कि उन दोनों में मनप्रीत के हावभाव, चंचलता में कुछ बदलाव आने लगा । वह गुमसुम रहती , खिलखिलाहट, इज़हारे इश्क़ की शोखियाँ नदारत दिखने लगी थी । वह लड़का भी अब उसे समझाने के मूड में रहता । कुछ ऐसी बात ज़रूर थी जिससे वह दोनों बेचैन थे । मैं और हमारे जैसे लोगों का ख्याल था कि उन दोनो के इस खेल का पता शायद मनप्रीत के घर वालों या उसके शौहर को लग चुका होगा क्योंकि अब वह कभी छोड़ने नहीं आताI मनप्रीत अकेले स्कूटर पर आती । ज़्यादातर लोगों की राय यही थी इसलिए इस परिणाम से किसी को सहानुभूति नहीं हुई ।
नियति कहें या ईश्वर कहें, हमेशा अजब खेल खेलता है । लोग मानते हैं कि जैसा जो करता है ईश्वर तुरंत परिणाम देता है । सबकी नज़र में वह लड़का और मनप्रीत ग़लत राह पर थे , उसके बेटे और पति के साथ धोखा होते ईश्वर देख रहा था , इसलिए वह लड़का और मनप्रीत को अवश्य सजा मिलनी चाहिए थी ।कुछ दिनों बाद मरम्मत कार्य के लिए गार्डन बंद हो गया , और उनका क्या हुआ मालूम नहीं चला ।
एक दिन हमारे पडोसी श्रीकांत घर आये । वह एयर इंडिया में प्रशासनिक अधिकारी थे । बातचीत के दौरान बताया कि एयर इंडिया के सबसे हैंडसम और क़ाबिल मैनेजर मनोज खन्ना को कैंसर हो गया है और आखिरी स्टेज पर है । छ साल के बेटे और जवान बीवी के भविष्य के लिए चिंतित थे ।
" अरे वही मनोज खन्ना जिनकी बीवी का नाम मनप्रीत है ? " मैंने अधीर होकर उनसे पूछा ।
" हाँ वही मनोज खन्ना , जो बहुत क़ाबिल और हंसमुख नौजवान है , पूरे विभाग के लोग सदमे में हैं " । उन्होंने बताया ।
पहली बार आज मुझे मनप्रीत के मासूम चेहरे से हमदर्दी हुई । मेरे आँखों के सामने एक अल्हड, बिंदास और समाज से लापरवाह उस लड़की को विधवा रूप में देखने को सोच कर ही रोंगटे खड़े हो गए । धीरे धीरे मनोज की हालत दिन प्रति दिन बिगड़ने लगी । लोगों को भी यक़ीन हो गया कि वह कुछ दिनों का मेहमान है । दिन रात मनप्रीत उसकी सेवा करती और लोग उसके त्याग और समर्पण कि तारीफ करते ।
एक दिन मनप्रीत और मनोज अकेले थे । मनोज की तबियत बिगड़ने लगी । मनोज ने डाक्टर को बुलाने से पहले मनप्रीत से बात सुनने को कहा । मनप्रीत घबरा गयी कुछ नहीं बोली । उसने मनप्रीत को एक पेन ड्राइव दिया और कहा ,
" मनप्रीत मैंने तुम्हें पूरी ज़िन्दगी शत प्रतिशत प्यार किया . तुम्हारी ख़ुशी ही मेरी ज़िन्दगी थी , मैंने कभी भी तुम्हें धोखा नहीं दिया , पूर्ण रूप से मैं तुम्हारा था । इसके बाद भी मुझे एहसास हुआ कि मेरे प्यार और समर्पण में कुछ कमी रह गयी । इस पेन ड्राइव को घर जाकर देख लेना , तुम्हें सब कुछ मालूम हो जायेगा । मनप्रीत मैं कोई भगवान नहीं हूँ , एक इंसान होने कि वजह से मैं भी कुछ अपेक्षा रखता था कि मेरी बीवी मुझसे ईमानदार रहे , तुमने मेरे सभी गरूर, विश्वास और एक तरफ़ा प्यार को नकार दिया था । अब मैं तुमसे कभी कोई अपेक्षा नहीं रख सकता, तुम हर बंधन से आज़ाद हो ।"
पेन ड्राइव में उसका पूरा कच्चा चिटठा था I गार्डन में रोज़ की वीडियो रिकॉर्डिंग थी I ये कौन मनोज को भेजता था पता नहीं चल सका I सब कुछ जानने और देखने के बाद मनोज कैसे बर्दाश्त कर रहे थे I शायद किसी भी हालत में घर बचाना चाह रहे थे या मनप्रीत से बेलौस मोहब्बत उनके पांव जकड़ चुकी थी Iउसके एक एक शब्द मनप्रीत के कानो में थपेड़े जैसे लग रहे थे । मन और मस्तिष्क सुन्न पड़ गए । सब कुछ जानने के बावजूद मनोज कैसे इतने बढे आघात को अकेले बर्दाश्त कर रहे थे ।इतना कहने के बाद मनोज ने उसे सचमुच में सभी बंधनों से आज़ाद कर दिया । सभी दुखों, फरेब, एहसास से मुक्त हो गए । मनप्रीत कुछ भी बोलने या सुनने की हालत में नहीं थी । बार बार मनोज का हारा हुआ, बिखरा हुआ चेहरा उसे झकझोर रहा था । ज़माने की बात कौन कहे वह स्वयं की नज़रों में गिर चुकी थी ।
शायद मनोज को मनप्रीत की बेवफाई अपनी कम ष्जिन्दगी का एहसास हो चुका था । मरने से पहले उसने अपनी सारी संपत्ति, कंपनी के फंड और इन्शुरन्स की रक़म अपने बेटे के नाम कर दिया और उसका वारिस मां को बना दिया था । उसकी मां, भाई और रिश्तेदार मनोज के इस कदम के बारे में आश्चर्यचकित थे , उनकी नज़र में मनप्रीत ही उसकी सच्ची वारिस हो सकती थी । बेदखल होने के बावजूद भी मनप्रीत ने कुछ नहीं कहा ।मनोज के जाने के क़रीब एक साल बाद एक दिन मनोज की मां साधना कौर ने मनप्रीत से कहा,
" बेटे , मनोज ने संपत्ति के मामले में क्यों ऐसा किया और तुम्हें कुछ नहीं दिया , इसके बारे में मुझे नहीं मालूम I मुझे वाहेगुरु ने न जाने कौन सी ग़लती की सजा दी है जिसने मेरे जवान बेटे को छीन लिया , बेटी जैसी बहू को विधवा कर दिया और बेटे को अनाथ कर दिया । मैं तुम्हारे साथ कोई अन्याय नहीं होने दूंगी । जब तक ज़िंदा हूँ तुम्हारे लिए लड़ सकती हूँ लेकिन मेरे बाद तुम्हारे साथ क्या बर्ताव होगा बता नहीं सकती । इसलिए मैंने एक फैसला किया है ।"इसने कह वह चुप हो गयी और मनप्रीत की और देखा । उसकी आँखों में एक शून्यता और निराशा ही थी ।
" मैंने सोचा है इन्शुरेंस का पैसा मैं तुम्हारे नाम ट्रांसफर कर दूँ । और अनंत की चिंता तुम मत करो , एमबीए हो तुम कोई नौकरी कर लो ।" मां ने सलाह दी
" हाँ एक बात और , मैं चाहती हूँ कि तुम दूसरी शादी कर लो । ज़िन्दगी जीने के लिए एक हमसफ़र की ज़रुरत इस उम्र में पड़ती है । मैं तुम्हें बेटी कि तरह ब्याह कर विदा करूंगी । जब तुम नयी जॉब शुरू करोगी और सक्षम होगी तो कई रिश्ते मिल जायेंगे । "
सास की बातों से मनप्रीत के सब्र का सैलाब फूट पड़ा और बहुत देर तक उनकी गोद में रोती रही । उन्होंने उसके अंदर के तूफ़ान को निकल जाने दिया और गोद में उसे सहलाती रहीं ।
साधना ने बैंक में अकाउंट खोल कर राशि अनंत और मनप्रीत के नाम ट्रांसफर कर दिया । योग्यता के अनुसार उसे एयर इंडिया में ऑपरेशन डिपार्टमेंट में असिस्टेंट मैनेजर की नौकरी मिल गयी । ज़िन्दगी रफ़्तार पकड़ने लगी थी ।
कभी कभी मनप्रीत सोचती मेरी ज़िन्दगी को बर्बादी की ओर ले जाने में उसके दोस्त नारायण पिल्लई का भी हिस्सा है , इसलिए उसे भी सजा मिलना चाहिए , लेकिन इन सभी झंझावात में वह अब तक नदारत था, कभी भी संपर्क नहीं किया । अब मनप्रीत बदले की भावना से ग्रसित हो गयी और उसके बारे में छानबीन करने लगी और जल्द ही उसे कामयाबी मिल गयी । एक दिन अपनी केबिन में बैठी पैसेंजर लिस्ट देख रही थी , साथ ही मॉनिटर पर भी नज़र थी । अचानक वह चौंक पड़ी , यह तो राजन था किसी अँगरेज़ औरत के साथ था । वह औरत भारतीय परिधान में कांजीवरम साड़ी पहने हुए थी और माथे पर बड़ी सी बिंदी और भर हाथ चूड़ी पहने थी । कुछ देर तक वह उन दोनो को देखती रही । वह शादी शुदा जोड़े के तौर पर ट्रेवल कर रहे थे । मनप्रीत को कुछ खटका हुआ । उनके पास चार अटैची थी जिसे लेकर राजन बैठा था और वह औरत दूर बैठी सब कुछ वाच कर रही थी । जब राजन उसके पास जाता वह तुरंत उसे वापस भेज देती । मनप्रीत ने तुरंत एयर विजिलेन्स और नारकोटिक्स विभाग को सूचित किया और सभी फुटेज दिखाया । नारकोटिक्स विभाग के हेड पोलांजी औरत को पहचान गए और थोड़ी देर में उसका पूरा रिकॉर्ड उनके पास आ गया । बड़ी सूझबूझ से एक बड़े ड्रग माफिया गैंग को पकड़ लिया गया , राजन की नवव्याहता बहू का रोल करने वाली औरत अंतराष्ट्रीय ड्रग गैंग की लीडर मारिया हेराथ थी जिसकी पूरी दुनिया में तलाश थी। राजन भी साथ में पकड़ लिया गया । मनप्रीत को आज पहली बार अपने किये पर कोई पछतावा नहीं हुआ ।