एक बात और गौर करने योग्य है। किसी भी सरकारी और गैर सरकारी विभाग में नौकरी पर एक साल का प्रोबेशन पीरियड होता है , इसमें साफ तौर पर प्रावधान होता है कि कार्य संतोषजनक न होने पर किसी भी समय सेवा
समाप्त की जा सकती है । सेना जैसे सशक्त और महत्वपूर्ण विभाग में सर्विस करने पर यह चार साल का प्रोबेशन पीरियड ही तो है , सरकार को इसे स्पष्ट करना चाहिए था । कठिन अनुशासित ट्रेनिंग पूरी करने के बाद बचे
तीस हज़ार अग्निवीरों में से क़रीब दस हज़ार सैनिकों का कैंपस सिलेक्शन की तर्ज़ पर चयन कर उन्हें अर्धसैनिक बलों जैसे, सी आर पी एफ, बीएसएफ जैसे विभागों में रखे जाने का प्रावधान होता । बचे दस हज़ार लोगों
को छ महीने की कंप्यूटर ट्रेनिंग देकर उन्हें रक्षा संस्थानों, अंतरिक्ष अनुसन्धान केंद्र, रक्षा अनुसन्धान, परमाणु संस्थानों जैसे संवेदनशील विभागों में रखने पर वह सम्मान और उत्साह के साथ कार्य करते । जब तक उन्हें नयी नौकरी नहीं मिलती तबतक सरकार उन्हें पेंशन देती कोई अड़चन नहीं आती ।
सरकार की अन्य कई योजनाओं जैसे किसान कानून C A A , तीन तलाक़ की तरह अग्निपथ योजना भी राजनीतिकरण के पूर्वाग्रह की भेंट चढ़ने की राह पर है । अब तो स्पष्ट तौर पर पक्ष और विपक्ष दो फाड़ हो चुके हैं । आज स्थिति है कि स्कीम के समर्थक को सरकारी चाटुकार और विरोध करने वाले को देश द्रोही और जन विरोधी साबित करने की होड़ लगी है । इसका विरोध करने वाले युवाओं के मन में ये धारणा पैदा कर रहे हैं कि मानो यह योजना चार साल की न होकर बस चार महीने की है इसके बाद तुम्हारा भविष्य अंधकार मय हो जायेगा । आज के युवा जो ग्रेजुएट या पोस्ट ग्रेजुएट हैं क्या करते हैं ? गांव, क़स्बों , छोटे शहरों में जा कर देखिये बहुत बड़ी संख्या में नौजवान प्रतिदिन कम से कम आठ घंटे 2GB या 3GB नेटवर्क के माध्यम से अनर्गल और अर्थहीन वीडियो से घृणा, क्रोध, द्वेष, नफरत को देखने में व्यस्त रहता है . वह हीरो हीरोइन की रूमानी दुनिया में डूबा रहता है । धन और समय बर्बाद कर संतुष्ट नहीं होता और सरकार की आलोचना,
अपनी बेरोज़गारी को कोसता है । उसे मालूम नहीं है कि इस निठल्लेपन से चार साल की सम्मानपूर्वक और सार्थक अग्निवीर सेवा कहीं बेहतर है । आज का नौजवान अगर सेना सर्विस को अन्य सरकारी या गैर सरकारी सेवा की तरह समझ रहा जो उसकी भूल है . सेना का हर नौजवान कठिन प्रशिक्षण, अनुशासन , शूरवीरता और समर्पण की भट्ठी में तप कर कुंदन बन एक साहसी जांबाज़ बनता है जो देश के लिए जान क़ुर्बान को तत्पर रहता है । उसका जज़्बा लम्बी नौकरी कर सिर्फ पेंशन
लेने के लिए नहीं होता, बल्कि सब से परे अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए आतुर होकर बाहर निकलता है । अग्निवीर स्कीम के विरोध में ट्रेन जलाना, रेल और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुँचाने , लोगों को परेशानियों में डालने से क्या हासिल हुआ सिर्फ जन धन की हानि के । क्या अग्निवीर ट्रेनिंग करने वाला कोई सैनिक कभी ऐसा करता , वह इतना अनुशासित हो चुका रहेगा कि इस तरह का देश और समाज विरोधी कृत्य वह किसी के बहकावे में आ कर कभी नहीं करता । यही परिवर्तन होगा आम नौजवान और अग्निवीर में ।
यह योजना लागू करने में सरकार का आरम्भ में रवैया बहुत अविवेकपूर्ण था । लगता है इस पर गंभीरता से होमवर्क नहीं किया गया था । इसे लागू करने की हड़बड़ी में सरकार युवाओं को संतुष्ट करने में असफल रही । जब तक उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और संशोधन किया तबतक काफी देर हो चुकी । तीन साल पहले सरकार ने सेना में भर्ती के लिए मेडिकल
और शारीरिक फिटनेस टेस्ट लेकर हज़ारों नौजवानों को अगली प्रक्रिया के लिए इंतज़ार का आश्वासन दिया था । हज़ारों नौजवान अगले टेस्ट के लिए कठिन परिश्रम कर रहे थे । सरकार यदि इन्ही नौजवानों को अग्नि वीर के लिए चुनती तो उनका आक्रोश नहीं बढ़ता , वह ठगे हुए लगे । पहले की चुनाव प्रक्रिया रद्द करना एक अविवेकपूर्ण क़दम था , साथ ही चयन के पहले सभी युवाओं को कंप्यूटर स्किल की ट्रेनिंग देकर उनमे अतिरिक्त कौशल बढ़ा कर अग्निवीर बनाते तो हो सकता था कि चार साल बाद २५% का बैरियर ख़त्म कर ज़्यादा कुशल सैनिकों को रखा जाता । एक बात और गौर करने योग्य है । किसी भी सरकारी और गैर सरकारी विभाग में नौकरी पर एक साल का प्रोबेशन पीरियड होता है , इसमें साफ तौर पर प्रावधान होता है कि कार्य संतोषजनक न होने पर किसी भी समय सेवा समाप्त की जा सकती है । सेना जैसे सशक्त और महत्वपूर्ण
विभाग में सर्विस करने पर यह चार साल का प्रोबेशन पीरियड ही तो है , सरकार को इसे स्पष्ट करना चाहिए था । कठिन
अनुशासित ट्रेनिंग पूरी करने के बाद बचे तीस हज़ार अग्निवीरों में से क़रीब दस हज़ार सैनिकों का कैंपस सिलेक्शन की तर्ज़ पर चयन कर उन्हें अर्धसैनिक बलों जैसे, सी आर पी एफ, बीएसएफ जैसे विभागों में रखे जाने का प्रावधान होता । बचे दस हज़ार लोगों को छ महीने की कंप्यूटर ट्रेनिंग देकर उन्हें रक्षा संस्थानों, अंतरिक्ष अनुसन्धान केंद्र, रक्षा अनुसन्धान, परमाणु संस्थानों जैसे संवेदनशील विभागों में रखने पर वह सम्मान और उत्साह के साथ कार्य करते । जब तक उन्हें नयी नौकरी नहीं
मिलती तबतक सरकार उन्हें पेंशन देती कोई अड़चन नहीं आती ।
सत्ताधारी, विपक्ष और मीडिया शायद जानबूझ कर विश्व में होने वाली हलचल से अनजान बन रहे हैं I नए तकनीकी विकास और खोज से सरकारी , गैरसरकारी संस्थानों, बैंकों और निजी संगठनों में मैनपावर की जगह आधुनिक मशीनें ले रही हैं I इनमें पचास प्रतिशत तक कटौती अब आम बात हो चुकी है I जिस बैंक में पहले सौ कर्मचारी,अधिकारी रहते थे वहां दस लोगों से काम सुचारू रूप से चल रहा है और बैंक अच्छा व्यापार भी कर रहे हैं I दस कर्मचारी की जगह एक नया सिस्टम काम कर रहा है I आज जल,थल और वायु यातायात आधुनिक सुविधाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं जिसके सञ्चालन के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की आवश्यकता है I अब अकुशल और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी बीते दिनों की बात हो गए हैं , इसलिए समय की आवश्यकता के अनुसार नौजवानों को अपना तकनीकी कौशल बढ़ाना होगा , इसके लिए मोबाइल पर बेकार और भड़काऊ वीडियो छोड़ अपना कीमती समय में कौशल विकसित करना होगा , अग्निवीर योजना को इसी परिपेक्ष
में देखना होगा I सभी कम्पनियाँ एमबीए , इंजीनियर और सीए को तरजीह दे रही हैं और डिग्री मिलते ही कैंपस सिलेक्शन उनका इंतज़ार करता है I युवा पीढ़ी को समझना होगा कि सिर्फ कॉलेज डिग्री का समय चला गया, अब कोई न कोई विशेष योग्यता विकसित करनी होगी I सेना भी इस नयी चुनौती को अनदेखा नहीं कर सकती I अग्निवीर योजना को लागू कर सैन्य बल पर पड़ने वाले बोझ को कम करके सेना का आधुनिकीकरण करना है I अब ज़मीनी युद्ध का ज़माना ख़त्म हो रहा है , चालक विहीन युद्धक विमान, सौ किलोमीटर दूर से प्रक्षेपास्त्र, ड्रोन और गाइडेड मिसाइल का ज़मान आने वाला है अब युद्ध बटन दबाकर वॉर रूम से होगा I इस सन्दर्भ में यूक्रेन रूस युद्ध हमारे सामने हैं , पूरा युद्ध नगर और सैन्य ठिकानों से सौ किलोमीटर दूर से मिसाइल , द्रोण और मानवरहित विमानों से लड़ा जा रहा है , सैनिकों की संख्या नगण्य है I यह युद्ध भविष्य के युद्ध की झांकी है I इसके अलावा कई रूपों में आतंकवाद आतंरिक सुरक्षा की बड़ी चुनौती बन रहे
हैं I ऐसी परिस्थिति में पूर्ण प्रशिक्षित अग्निवीर आतंरिक शांति के लिए वरदान होंगे और देश में सम्मानित प्रहरी बन जायेंगे I
अग्निवीर योजना के दूसरे पहलू भी हैं I पूरे विश्व में सैन्य समीकरण आधुनिक हथियारों की वजह से बदल रहे हैं, नए नए हथियार और सैन्य साधन सेना में शामिल हो रहे हैं । सेना को सक्षम और प्रभावशाली बनाने के लिए भारत को भी इन हथियारों की ज़रुरत है ।सेना के लिए ग्यारह लाख करोड़ के रक्षा बजट का छ लाख करोड़ सेलरी और पेंशन में खर्च होता है , साथ ही नयी प्रणाली से मैनपावर की भी ज़रुरत कम पड़ती है, इसलिए सैनिकों के खर्च में कटौती कर नए हथियार और रक्षा प्रणाली विकसित करने के लिए सेना का यह क़दम सराहनीय और विवेकपूर्ण है । सेना का काम अपने साधनों से आवश्यकतानुसार सशक्त रक्षा प्रणाली विकसित करना और अनुशासित, कर्मठ तथा साहसी नौजवानो को तैयार करना है
, सेना का काम रोज़गार कार्यालय चलाना नहीं है I ये ज़रूर होगा की चार साल की ट्रेनिंग के बाद देश को अनुशासित और हर बलिदान देने के लिए तत्पर जवानों की बड़ी संख्या मिलेगी , उन्हें कैसे इस्तेमाल करना है ये व्यवस्था करना सरकार का काम है , सेना को इसमें घसीटने की ज़रुरत नहीं है ।
किसी भी नयी योजना और व्यवस्था में खामियां हो सकती हैं लेकिन उसे पूरी तरह नकारना उचित नहीं है बल्कि उसमे आवश्यक संशोधन करना चाहिए । इस तरह केसंवेदनशील मसलों का राजनीतिकरण या निरर्थक आलोचना नकारात्मक सन्देश देंगे जो सेना और नौजवानों का मनोबल कमज़ोर करेंगे । अग्निवीर योजना एक ऐतिहासिक पहल है , क्योंकि ज़राइल, रूस जैसे देशों में इसे सफलता पूर्वक लागू किया गया है । अगर इसे खुले मन से सकारात्मक सोच के साथ
लागू किया जाय तो इसके दूरगामी परिणाम होंगे । हम एक सक्षम रक्षा प्रणाली से लैस राष्ट्रों में शामिल होंगे और दुरूह परिस्थितियों में राष्ट्र सेवा में लगे सेना के जवानों का मनोबल बढ़ाएंगे । रक्षा विशेषज्ञ भविष्य की संभावनाओं और चुनौतियों को ध्यान में रख दूरगामी नीति बनाते हैं I यह योजना भी इन चुनौतियों का विश्लेषण कर बनाई गयी है I हमें सैनिकों को मिलने वाली सैलरी, पेंशन और अन्य सुविधाओं से परे देश की सुरक्षा और सम्मान के परिपेक्ष में देखना होगा I सेना अधिकारियों, रक्षा विशेषज्ञों और सरकार पर भरोसा रखना होगा तभी इसके दूरगामी परिणाम होंगे I