सहज भाव असीमित दर्द की शुरुआत होगा,
सद्गुण और कर्मठ स्वभाव से थोड़ा परे,
तर्क-वितर्क का व्यवहार होगा,
पुराने विचार और इतिहास सिर्फ किताबों में होंगे,
उनका लक्ष्य ही खुद का संसार बनाना होगा।।
उनका भविष्य तुमसे ज्यादा नहीं,
कामयाबी में तनाव का पोषण जरूर होगा,
फासले बहुत गहरे होंगे,
तुम मोह की आंधी से बेखौफ तो नहीं,
बस चुप रहना ही,उस पीढ़ी से असहन होगा।।
घोड़ा बेहिसाब होगा,
लगाम से फिसला भी होगा,
तुम मोह से लथपथ नहीं रोक पाओगे,
वह क्षण ही तुम से अधिक मजबूर होगा।।
व्यक्तिगत शिकंजे में तुम नहीं फंसोगे,
पर तुम्हारा उलझना तय होगा;
उनकी बहस में पीसना,
फैसला तुम्हारा कतई नहीं होगा;
रिश्ते तवज्जो खो चुके होंगे,
तराजू में तुमने अपने आप को कभी तोला नहीं होगा,
परंतु मोल-भाव ही पीढ़ी की देन है,
व्यापार का स्वाद चखना पीढ़ी-दर-पीढ़ी,
यही रिश्तों का फैलाव होगा।।
लेकिन जब थक जाओगे तुम,
वापस लौटना तुम्हारा पसंदीदा खेल बन चुका होगा;
वास्तविकता जानने लगे हो अब तुम कि,
पुतला बनने से पहले तुम इस बिखरी मिट्टी का ख्वाब थे।।(Amit Rohilla)