धाकड़ अमित दोहा :
निज सुख से पहले रहे, सदा गृह सुख ध्यान।
पितृ ऋण से कभी उऋण, न हो सके संतान॥
कवि - अमित चन्द्रवंशी
19 जून 2016
धाकड़ अमित दोहा :
निज सुख से पहले रहे, सदा गृह सुख ध्यान।
पितृ ऋण से कभी उऋण, न हो सके संतान॥
कवि - अमित चन्द्रवंशी
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I am a writer and a poet who writes on general issues, social life, spiritual incidents (those are based on motivational thoughts) and other independent thoughts.