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पिता (दोहा) | amitvichar's blog

19 जून 2016

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धाकड़ अमित दोहा : 

निज सुख से पहले रहे, सदा गृह सुख ध्यान। 

पितृ ऋण से कभी उऋण, न हो सके संतान॥ 


कवि - अमित चन्द्रवंशी

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पिता (दोहा) | amitvichar's blog

19 जून 2016
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धाकड़ अमित दोहा : निज सुख से पहले रहे, सदा गृह सुख ध्यान। पितृ ऋण से कभी उऋण, न हो सके संतान॥ कवि - अमित चन्द्रवंशी

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योग (कविता)

20 जून 2016
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कविता :न होगा कोई रोग।सकोगे सब सुख भोग॥खुश रहेंगे सब लोग।जो होगा रोज योग॥रहेगी जो सदा ताजगी।न होगी दवाई दीवानगी॥डाॅक्टर से भी रहोगे दूर।उम्र भी बढ़ेगी भरपूर॥बढ़ेगी शारीरिक क्षमता।दिखेगी मानसिक दक्षता॥थकान न कभी सतायेगी।तंदरुस्ती सदा पास आयेगी॥कवि – अमित चन्द्रवंशी

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खडा़ हुआ था मुस्कुराता हरा भरा वो पेड़ (कुण्डलिया)

23 जून 2016
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कुण्डलिया : खड़ा हुआ था मुस्कराता, हरा भरा वो पेड़। गंजा मालूम वो पड़े, किसने की ये छेड़॥ किसने की ये छेड़, महंगी बहुत पड़ेगी। जो सजा दीन आज, उससे बदतर मिलेगी॥ कहे 'अमित' कविराय, बिन पेड़ जीवन उखड़ा। तरु है धरा जान, न त मौत द्वार तू खड़ा॥ कवि - अमित चन्द्रवंशी

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बिन मौसम मौसमों का मजा लीजिए (मुक्तक)

20 सितम्बर 2016
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बिन मौसम मौसमों का मजा लीजिए,और यूँ ही प्रदुषण में बढोतरी कीजिए।वो दिन दूर नहीं जब खाने पीने को कुछ न होगा,बस मौत से पहले ही दफन होने की अपनी मंजूरी दीजिए॥रचयिता - अमित चन्द्रवंशी

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