उस पिता पर क्या लिखूँ ?
जो अपनी सारी ख्वाहिशयें लुटा दी,
बिना किसी फरमाइश के,
उस पिता पर क्या लिखूँ?
जिनकी ख़ामोशी में भी,
हिम्मत छुपी हो,
जिनके हर आवाज में,
दुआओं की बारिश हो,
उस पिता पर क्या लिखूँ?
जो हर दर्द को सीने में छुपा कर,
होठों पर मुस्कान सजाये रखे,
जो अपने प्यार को सीने में,
छुपा कर लफ्जों में न बयां करे,
उस पिता पर क्या लिखूँ?
जो अपनी पगड़ी भी मेरी,
खुशियों के लिए किसी के,
कदमों में रखने को तैयार हो,
उस पिता पर क्या लिखूँ?
जो बिना कुछ कहे मेरी,
हर मौन को समझ जाय,
उस पिता पर क्या लिखूँ?
जिसने मेरी हर उलझन को,
अपनी उलझन समझ कर,
चुपके से सुलझाया हो,
उस पिता पर क्या लिखूँ?
उस रब से बस इतनी ही,
सिफारिश करूँ।
इस जहाँ में पिता सा,
फ़रिश्ते को बनाया है मेरे लिए,
उन्हें दुनिया के हर गमों,
तकलीफ से दूर रखे।
उन्हें दुनिया की हर ख़ुशी,
ख़ुशी मिले,
बस रब से इतनी ही,
गुजारिश है।
शब्द भी कम पड़ जाय,
पिता के तारीफ में
मेरे किताब के हर पन्ने पर,
उस पिता पर क्या लिखूँ?
सिर्फ ये थोड़े से अल्फाज़
सजा पाएं हैं
दुनिया के सारे प्यारे प्यारे पापा के लिए।
पिता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
दुनिया के हर प्यारे प्यारे पिता जी को
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